राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की मनोहारी व्याख्या किया
अश्वत्थामा हजारों वर्षों से अपनी मुक्ति के लिए दर-दर भटक रहा है
कासिमाबाद गाजीपुर।रामलीला मैदान में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी रामकथा के सातवें दिन को कथा व्यास महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा वर्षा नागर ने राम वनवास व राम केवट संवाद कथा की मनोहारी व्याख्या किया।इस दौरान उन्होंने कहा की अमरता वरदान नहीं बल्कि श्राप है। आज भी अश्वत्थामा हजारों वर्षों से अपनी मुक्ति के लिए दर-दर भटक रहा है।व्यवस्थित जीवन वरदान है।प्रेम का मतलब पाना नहीं समर्पण है। प्रेम की निशानी ताजमहल नहीं है बल्कि रामसेतु है।भगवान राम 14 वर्ष वनवास के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा घाट पर पहुंचे तो भगवान राम गंगा को देखते ही रथ से कूद पड़े व सुमंत को वापस भेज दिया। उन्होंने केवट से गंगा पार करने के लिए नाव मांगा तो केवट ने कहा, मैं तुम्हारे मर्म जान लिया हूं चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। पहले पांव धुलवाओ फिर नाव पर चढ़ाऊंगा।महामंडलेश्वर ने कहा कि जिससे पूरी दुनिया मांगती है आज गंगा पार जाने के लिए दूसरे से मदद मांग रहे हैं।भगवान दूसरों की मर्यादा को समझते हैं,वैसे ही घाट की एक मर्यादा होती है।भगवान केवट के पास इसलिए आए कि वह हम लोगों से कहना चाहते हैं कि हम लोग बहुत बड़े बड़े लोगों के दरवाजे पर उनके सुख-दुख में जाते रहते हैं। भगवान कहना चाहते हैं कि हमें कभी छोटे लोगों के यहां भी जाना चाहिए।रामकेवट कथा सुनने से हमें यह सीख लेनी चाहिए।कथा को भाव व प्रेम से सुनने वाले ही ज्ञान प्राप्त करते हैं।मुख्य यजमान की भूमिका डा.मुरलीधर मौर्य व गिरधारी गुप्ता ने सपत्नीक निभाई।इस मौके पर योगाचार्य स्वामी पद्मनाभानंद महराज,राकेश तिवारी,डा.सुधा त्रिपाठी, कर्नल अरुण सिंह,जितेंद्र वर्मा,मनीष पाठक,शिवजी गुप्ता, मनोज जायसवाल,अरविंद सिंह,विवेक पांडेय,दीनबंधु गुप्ता, व अच्छेलाल गुप्ता आदि मौजूद रहे।