व्यक्ति को मन,बुद्धि, चित एकाग्र कर अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करना चाहिए
श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है

दिलदारनगर गाजीपुर।क्षेत्र के फुल्ली ग्राम सभा अंतर्गत शेरपुर गांव स्थित दुर्गा मंदिर प्रांगण में शनिवार को सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक पं० सूखेन त्रिपाठी ने प्रवचन करते हुए कहा कि
व्यक्ति को मन,बुद्धि, चित एकाग्र कर अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए भागवत कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से महापापी धुंधुकारी का भी उद्धार हो गया। कथा व्यास ने बताया कि धुंधुकारी अति दुष्ट था। उसके पिता आत्मदेव भी उसके उत्पातों से दुखी होकर वन में चले गए थे। धुंधुकारी वेश्याओं के साथ रहकर भोगों में डूब गया और एक दिन उन्हीं के द्वारा मार डाला गया। अपने कुकर्मों के फलस्वरूप वह प्रेत बन गया और भूख प्यास से व्याकुल रहने लगा। एक दिन व्याकुल धुंधुकारी अपने भाई गोकर्ण के पास पहुंचा और संकेत रूप में अपनी व्यथा सुनाकर उससे सहायता की याचना की। गोकर्ण धुंधुकारी के दुष्कर्मों को पहले से ही जानते थे, इसलिए धुंधुकारी की मुक्ति के लिए गया श्राद्ध पहले ही कर चुके थे। लेकिन इस समय प्रेत रूप में धुंधुकारी को पाकर गया श्राद्ध की निष्फलता देख उन्होंने पुन: विचार विमर्श किया। अंत में स्वयं सूर्य नारायण ने गोकर्ण को निर्देश किया कि श्रीमद्भागवत का पारायण कीजिए। उसका श्रवण मनन करने से ही मुक्ति होगी। श्रीमद् भागवत का पारायण हुआ। गोकर्ण वक्ता बने और धुंधुकारी ने वायु रूप होने के कारण एक सात गांठों वाले बांस के भीतर बैठकर कथा का श्रवण मनन किया। सात दिनों में एक-एक करके बांस की सातों गांठे फट गईं। धुंधुकारी भागवत के श्रवण मनन से सात दिनों में सात गांठे फोड़कर, पवित्र होकर, प्रेत योनि से मुक्त होकर भगवान के वैकुण्ठ धाम में चला गया।बृंदावन से आई हुई कथावाचिका जया किशोरी ने भी कथा सुनाया।मंदिर के महंत रामानुज दास ने बताया कि कथा चार फरवरी तक प्रत्येक दिन दोपहर बारह बजे से शाम चार बजे तक चलेगी। चार फरवरी को ही मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर भंडारा का भी आयोजन होगा और कथा का समापन होगा।