राष्ट्रीय

ठेला,ठेलिया व बाइक चालक महाकुंभ में बने श्रवण कुमार

ठेले पर सवार होकर मेले में पहुंची श्रद्धालु महिला द्वारा भुगतान करने के बावजूद मुंह से निकला "जिया हो मोर सरवन कुमार"

प्रयागराज महाकुंभनगर से वरिष्ठ पत्रकार श्रीराम जायसवाल की विशेष रिपोर्ट:प्रयागराज।दुनिया के किसी भी धार्मिक स्थल पर सबसे अधिक संख्या जुटने वाले स्थान में प्रयागराज महाकुंभ निःसंदेह रूप से पहले पायदान पर नजर आता है। पिछले लगभग एक महीने से चल रहे महाकुंभ में एक अनुमान के तहत लगभग 40 करोड़ से अधिक लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। इस दौरान पैदल से लेकर चार्टर्ड विमान तक की सेवाएं ली गई। वहीं महाकुंभ पर्व के विशेष नहानों से लगायत भीड़भाड़ वाले दिनों में मेला क्षेत्र में ठेला, ठेलिया व मोटरसाइकिल पर सवार होकर लोग संगम घाट व मेला क्षेत्र में यात्राएं करते नजर आए। ऐसे में जहां भले ही ठेला, ठेलिया व मोटरसाइकिल चालक पैसे कमाने के लिए लोगों को ढो रहे हैं, लेकिन यात्रा में उनके द्वारा दी जा रही सुविधाएं बुजुर्गों व महिला तीर्थयात्रियों द्वारा उन्हें सरवन कुमार (श्रवण कुमार) की भूमिका में बताती नजर आने लगी है।

13 जनवरी अमृत स्नान से प्रारंभ होकर 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ पर्व में 13 फरवरी तक एक अनुमान के तहत लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। देश का कोई कोना व हिस्सा नहीं बचा जहां से लोग आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज नहीं पहुंचे हो। वहीं विश्व के लगभग कई देशों से जहां सनातनी निवास करते हैं, उन लोगों ने भी अपनी-अपनी व्यवस्थाओं के साथ प्रयागराज पहुंचकर स्नान किया। इस दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी और माघ पूर्णिमा जैसे विशेष अमृत स्नान भी पूर्ण हुए। एक तरफ जहां दुनिया में किसी धार्मिक स्थान पर जुटने वाली सबसे अधिक भीड़ का खिताब प्रयागराज महाकुंभ के नाम रहा। वहीं लगातार उमड़ती भीड़ व वाहनों की लंबी कतार से दुनिया में सबसे लंबा जाम लगने वाले शहर की उपाधि भी दी गई। इसके बावजूद लोगों के आस्था श्रद्धा व विश्वास में कहीं कोई कमी नजर नहीं आई। स्थिति यह रही की प्रयागराज से 10 किलोमीटर पहले तक गाड़ियां पार्क करवा दी जाती थी। लोग पैदल यात्राएं करते थे। वहीं इस बार के महाकुंभ में कुछ अलग दृश्य भी देखने को मिले जब ठेला, ठेलियों व मोटरसाइकिल पर भी श्रद्धालु सवार होकर यात्राएं करते नजर आए। बड़ी-बड़ी मर्सिडीज़ व पांच सितारा वाहनों से चलकर आए लोग भी मेला क्षेत्र में ठेला पर सवार होकर हंसते मुस्कुराते अपने गंतव्य को आते जाते नजर आए। एक अनुमान के तहत लगभग 5000 से अधिक मोटरसाइकिल सवार युवक पिछले एक महीने से लोगों को सेवाएं देते नजर आए। भले ही उनके द्वारा अवैध रूप से यह कार्य किया जाता था। लेकिन ₹200 प्रति सवारी लेकर लोगों को मेला क्षेत्र में उनके शिविर व अन्य गंतव्य स्थान तक छोड़ना तीर्थ यात्रियों के लिए काफी सुखदाई साबित हुआ। वहीं हाथ से धकेलना वाले ठेला व साइकिल पेडल जोड़कर चलने वाले ठेलियों पर लोग हंसते मुस्कुराते यात्रा करते नजर आए। इस दौरान लगभग लाखों लोगों द्वारा मोटरसाइकिल ठेला, ठेलिया इत्यादि की सेवाएं ली गई। कई जगह तो ऐसा देखा गया जब ठेले पर सवार होने के लिए भी लोगों में होड़ मची रहती थी। भले ही ठेला वालों को भुगतान करके यात्राएं की जाती थी, लेकिन बुजुर्ग लाचारी व पैदल चलने में असमर्थ तीर्थ यात्रियों द्वारा अपनी यात्रा के उपरांत ठेला वालों को आशीर्वाद देते हुए सरवन कुमार (श्रवण कुमार) की संज्ञा भी दी जाती रही।
– भुगतान करने के बावजूद मुंह से निकला आशीर्वाद “जिया हो मोर सरवन कुमार”
बिहार के बेतिया से अपने पौत्र के साथ महाकुंभ स्नान करने पहुंची वृद्ध महिला लक्ष्मीना देवी जिस बस से यात्रा कर रही थी उस बस को वाराणसी प्रयागराज मार्ग पर लगभग 15 किलोमीटर पहले रोक दिया गया। जहां से उन्होंने संगम मेला क्षेत्र पहुंचने के लिए मोटरसाइकिल का सहारा लिया। तमाम रास्ते बंद होने के बावजूद मोटरसाइकिल चालक स्थानीय होने के चलते उन्हें उनके गंतव्य पर छोड़ दिया। किराया भुगतान के बावजूद लक्ष्मीना देवी के मुंह से बरबस आशीर्वाद निकल पड़ा “जिया हो मोर सरवन कुमार…”
इसी प्रकार वाराणसी से पहुंची अपनी माता जी को लेकर पहुंची शिक्षिका डॉ रीमा सिंह भी मोटरसाइकिल पर सवार होकर माताजी के साथ संगम तक की यात्राएं की। मुंबई से सपरिवार संगम स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु परिवार की गाड़ी लगभग 15 किलोमीटर पहले रोक दी गई। जहां से उन्होंने ऑटो का सहारा लिया और मेला क्षेत्र में ठेले पर सवार होकर गंतव्य तक पहुंचे। य
यह चर्चाएं केवल कुछ परिवारों की है जबकि पूरे एक माह के दौरान लाखों लोगों द्वारा यह सेवाएं ली गई। इतना ही नहीं वेशभूषा रहन सहन से ऐसे लोग भी ठेले पर सवार नजर आए जो प्राय अपनी चमचमाती गाड़ियों में बैठकर ठेला ठेलिया वालों को हिकारत भरी नजरों से देखते रहे होंगे। ऐसे में इस महाकुंभ के दौरान मोटरसाइकिल, ठेला, ठेलिया इत्यादि सरवन कुमार की भूमिका में लोगों को तीर्थ यात्रा करते नजर आए।
-समाचार संकलन में भी मोटरसाइकिल वालों ने खूब किया मदद
मोटरसाइकिल चालकों द्वारा केवल तीर्थ यात्रियों की मदद ही नहीं की गई, बल्कि समाचार संकलन कर रहे पत्रकारों को भी इसका लाभ मिला। आंखों देखी घटना के तहत 31 जनवरी को सेक्टर 16 में किन्नर अखाड़ा में एक प्रेस वार्ता आयोजित थी। जिसमें भाग लेने आए पत्रकार को काफी दूरी तक पैदल चलकर आना पड़ा। वापसी के दौरान हिम्मत जवाब दे गई, बाइक चालक को रोका गया तो उसने ₹200 प्रति सवारी मांगी। दो पत्रकारों ने सेक्टर 19 शंकराचार्य चौक मुरी मार्ग तक जाने के लिए ₹300 में उसे तय किया। जहां से वह मीडिया सेंटर की तरफ वापस चले जाते। साथी पत्रकार द्वारा मना किया गया कि यह मोटरसाइकिल सवार अवैध यात्राएं करवा रहा है। इससे नियम बात कर फ्री में भी चला जा सकता है। लेकिन थके पत्रकार ने कहाकि यह भले अवैध रूप से मोटरसाइकिल चला रहा है या पैसे वसूल रहा है लेकिन यात्राएं वैध करवा रहा है। यात्रियों को उनके वैध स्थान तक ही छोड़ रहा है।

(लेखक: श्रीराम जायसवाल स्वतंत्र स्तंभकार व उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं।)

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