आरटीओ ऑफिस एक बार फिर सुर्खियों में,फर्जी एआरटीओ देख रहा है फिटनेस
आरटीओ ऑफिस एक बार फिर सुर्खियों में,फर्जी एआरटीओ देख रहा है फिटनेस
गाजीपुर।उत्तर प्रदेश सरकार भले ही भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही हो और भ्रष्टाचार को लेकर काफी सजग हो लेकिन इसके बावजूद गाजीपुर आरटीओ में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। आरटीओ ऑफिस के बाहर फर्जी एआरटीओ के जांच से वाहनों की फिटनेस ओके की जा रही है। फर्जी आरटीओ से पैसे के बल पर वाहन मालिक बिना फिटनेस, फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल कर रहे हैं। गाजीपुर संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) कार्यालय पर सरकार चाहे जितनी भी लगाम कस ले, वो ढीली हो जाती है। शायद यही वजह है कि कार्यालय में कोई भी काम बिना किसी बाहरी व्यक्ति के नहीं होता है। आपको बता दें आरटीओ कार्यालय में प्रवर्तन, पंजीयन, एनओसी समेत कई अनुभाग हैं। कार्यालय के बाहर दर्जनों की संख्या में प्राइवेट वेंडर कर्मचारी ने अपना कब्जा जमा लिया है। लाईसेंस बनवाने, गाड़ी की फिटनेस, रजिस्ट्रेशन, ट्रांसफर या एनओसी के लिए रोजाना सैकड़ों लोग दफ्तर में आते हैं। मगर विभागीय कर्मचारियों द्वारा उन्हें इतनी जटिल प्रक्रिया बता दी जाती हैं कि वह परेशान हो जाता है। थक हार के उसे बाहर बैठे प्राइवेट वेंडरों और दलालों से संपर्क करना पड़ता है। 17 जनवरी 2025 को जनपद के दूर-दूर के लोगों ने अपनी गाड़ी का फिटनेस करवाने आरटीओ ऑफिस आए लोगों ने कमर्शियल गाड़ी सुबह से लगाकर एआरटीओ का इंतजार कर रहे थें की एआरटीओ साहब आएंगे तो गाड़ी का फिटनेस चेक करके ओके करेंगे। इसी बीच प्राइवेट वेंडर सुमित नाम का फर्जी एआरटीओ बनकर अपने दो साथियों के साथ फिटनेस चेक करने चल दिया दोनो साथियों के हाथ में दर्जनों फाइल थी। फर्जी आरटीओ ने दर्जनों गाड़ियों का फिटनेस चेक किया फिटनेस चेक करते समय न तो गाड़ियों की लाइट जलाई गई न ही किसी गाड़ी का हॉर्न बजा फिटनेस कराए आए लोगों से पूछा गया कि यह फिटनेस कौन कर रहे हैं। लोगों ने बताया की यही एआरटीओ साहब है। पत्रकारों के सवाल पर फर्जी एआरटीओ को सर्दी में ही पसीना होने लगा सीधे कुछ न बोलते हुए आरटीओ ऑफिस भाग खड़ा हुआ। जिसकी जानकारी होते ही एआरटीओ ऑफिस में अफरातफरी मच गई। कुछ ही देर बाद एआरटीओ रमेश चंद्र श्रीवास्तव की गाड़ी आ खड़ी हुई। गाड़ी से निकले एआरटीओ रमेश चंद्र श्रीवास्तव के सामने प्राइवेट वेंडर बना फर्जी आरटीओ सामने खड़ा हुआ। एआरटीओ रमेश चंद्र श्रीवास्तव से फर्जी एआरटीओ के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ न बोलते हुए पत्रकारों को आफीस में चलने की बात करने लगें। आरटीओ ऑफिस में पहुंचे पत्रकारों के सवाल पर कुछ न बोलते हुए। बस इतना ही कहा कि पत्रकार सब कुछ जानते हैं। अब तो सवाल यह खड़ा हो रहा है। क्या एआरटीओ और पत्रकारों के मिली भगत से चलता है आरटीओ ऑफिस ? क्या एआरटीओ के संज्ञान में चलता है भ्रष्टाचार का खेल ? आखिर कब गाजीपुर आरटीओ कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार पर नकेल कसेंगे परिवहन विभाग के अफसर ?”।