भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के लिए रस्साकस्सी जारी,अरविंद की भी मजबूत दावेदारी
15 जनवरी तक उत्तर प्रदेश के हर जिलों में जिलाध्यक्ष का चुनाव हो जाना निश्चित है
गाजीपुर।भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के लिए रस्साकस्सी जारी,अरविंद की भी मजबूत दावेदारी।उत्तर प्रदेश में इस समय भाजपा संगठन के चुनाव अपने चरम पर हैं पार्टी के गाइडलाइन के अनुसार 15 जनवरी तक उत्तर प्रदेश के हर जिलों में जिलाध्यक्ष का चुनाव हो जाना निश्चित है इसी क्रम में गाजीपुर में भी भारतीय जनता पार्टी का जिला अध्यक्ष बनने के लिए रस्साकसी जारी है और इसी रस्साकसी के बीच में सुनील सिंह,प्रवीण सिंह,ओमप्रकाश राय,अवधेश राजभर, शैलेश राम सहित पिछड़े वर्ग के नेता अरविंद प्रजापति का भी जिलाध्यक्ष पद के लिए आवेदन करना तय माना जा रहा है,अरविंद प्रजापति जोकि भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के 2003 में मंडल अध्यक्ष रहे,बाद में वह कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने काम किया,उत्तर प्रदेश के भदोही में लोकसभा प्रभारी के रूप में तो उत्तर प्रदेश से अलग बिहार में भी चुनाव का संचालन कर चुके है।मृदुभाषी स्वभाव के अरविंद प्रजापति जो की पार्टी के प्रति वफादारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए समाजवादी पार्टी सरकार में इनका प्रशासन से टकराव आज भी लोगों के जेहन में याद रहता है।अरविंद प्रजापति पेशे से विद्यालय संचालक हैं और बीएड तक की शिक्षा ग्रहण की है, 2017 में और 2023 में पार्टी द्वारा नगर पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए पार्टी ने उम्मीदवार बनाया लेकिन 2017 में पार्टी के कुछ ठेकेदारों द्वारा सिंबल लेकर भाग जाने के कारण निर्दल ही चुनाव लड़ा हालांकि पार्टी के लोगों द्वारा अरविंद प्रजापति का प्रचार प्रसार मजबूती से किया और नल के सहारे 2100 से ऊपर वोट भी मिले,2023 में रेयाज अंसारी को कड़ी टक्कर देते हुए अरविंद प्रजापति को 3800 मत प्राप्त हुए,अब देखना है कि जिला अध्यक्ष पद के लिए आवेदन करने के बाद पार्टी अरविंद प्रजापति को कितनी गंभीरता से लेती है, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में मंडल प्रभारी के तौर पर भी काम किया,सुल्तानपुर जिले में सदस्यता अभियान के प्रभारी के तौर भी भी निर्वहन किया,वही वर्तमान में प्रजापति पिछड़ा मोर्चा प्रदेश के कार्यसमिति सदस्य है,गाजीपुर जिले में पिछड़ा वर्ग को देखा जाए तो जिले में 50% से ऊपर की आबादी है लेकिन भाजपा में देखा जाए तो पिछले 25 सालों में एक ही पिछड़ा वर्ग के नेता प्रभुनाथ चौहान के बाद किसी भी पिछड़े वर्ग के नेता की जिला अध्यक्ष पद पर ताजपोशी नहीं हुई है,अब पार्टी इस बार किसको जिले की कमान सौंपती है यह देखना महत्वपूर्ण है।