ग़ाज़ीपुर
एक जाति में विशेष खलबली मची हुई है जो कि हमेशा से जिले में सरताज बनाकर केंद्र में रहा
भूमिहार बीन कैसे शोभे गाजीपुर जनपद का ताज
गाजीपुर।भारतीय जनता पार्टी जनपद संगठन की घोषणा जब से हुई है तभी से एक जाति में विशेष खलबली मची हुई है जो कि हमेशा से जिले में सरताज बनाकर केंद्र में रहा है।और आपने एक गाना सुना होगा कोयल बिन बगिया न शोभे राजा-ठीक उसी तर्ज़ पर यह गाना आजकल गाजीपुर में भूमिहार बिन शोभे गाजीपुर जिला सटीक बैठता है,जब भाजपा गाजीपुर में 34 मंडल अध्यक्ष पद की घोषणा हुई तो केवल एक भूमिहार जाति के कार्यकर्ता को मंडल अध्यक्ष बनाकर लॉलीपॉप थमा दिया गया, 34 मंडल अध्यक्ष में आठ क्षत्रिय,पांच ब्राह्मण,एक भूमिहार,चार कोइरी,दो अनुसूचित,चौहान तीन,बिंद दो,राजभर दो,सुनार एक,ठठेरा एक,यादव एक,वैश्य दो,लोहार एक,गोस्वामी एक जाति के लोगों को यह पद दिया गया लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर भूमिहार जाति को इतना दरकिनार क्यों किया गया,विश्लेषक बताते है कि महेंद्रनाथ पांडेय को प्रदेश का चुनाव अधिकारी बनने से यह संकेत मिलने लगे थे कि इस बार उनके करीबियों की चलेगी और इस सूची को देखने के बाद यही लगता है कि कभी आधा दर्जन से लेकर एक दर्जन तक मंडल अध्यक्ष पद पर विराजमान भूमिहार जाति के साथ इतनी दूरी क्यों,इस जिले में भाजपा संगठन में हमेशा से महामहिम मनोज सिन्हा की चलती रही है।यहां तक कि भूमिहार बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र मुहम्मदाबाद से भी अनदेखी की गई है इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है कि हमेशा से भाजपा का कोर वोटर रहा भूमिहार जो जिले में कई बार जिलाध्यक्ष के पद पर भी विराजमान रहा चाहे विजय शंकर राय,सच्चितानंद राय,बृजेंद्र राय,कृष्णबिहारी राय रहे हो,सूत्र बताते है कि राजनीति में बृजेंद्र राय और रामतेज पांडेय को महेंद्रनाथ पांडेय का करीबी माना जाता है।और इस बार यह लोग भी कोई मौका नहीं चूकना चाहते थे।अब देखना है कि भूमिहार समाज के नेता भविष्य की अपनी रणनीति किस करवट लेंगे।