नीक गांव बा
(गीत)
जहवां सुबेरे क लाली सुहानी शाम बा,
सचहुं कहतानी शहरो ले नीक गांव बा।
जहवां जीयत अबहीन लोक आऊर लाज बा।घुंघुंटा के आड़ में बोली क मिठास बा।। जहवां ससुई पतोहिया बदे चारोधाम बा-
सचहुं कहतानी शहरो ले नीक गांव बा -1
गउवां के छोड़ि भले शहरिया में जइबा।
गवईं के सुख ना शहरिया में पईबा।।
गांव क माटी पुरखन क पहिचान बा —
सचहुं कहतानी शहरो ले नीक गांव बा –2
सोंधल सुगन्ध मिले कलिया कोल्हारे।
धधकेला कउड़ा दुआरे – दुआरे।।
जियत छोट बड़ क लाज मान सम्मान बा।
सचहुं कहतानी शहरो ले नीक गांव बा–3
सुख दुख परेला त सगरी गांव बटुराला।आपस क अनबन नईखे चिनहाला।।
सरस रस में सनेहियां क निमन छांह बा-
सचहुं कहतानी शहरो ले नीक गांव बा-4
*गौरीशंकर पाण्डेय सरस*