ग़ाज़ीपुर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोगों में खुशी की लहर:मिनहाज अंसारी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोगों में खुशी की लहर:मिनहाज अंसारी

गाजीपुर।शिक्षक मिनहाज अंसारी मदरसा सेराजुल उलूम चक जैनब जहूराबाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।जिसका सीधा असर मदरसा टीचर्स पर पड़ा है।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बहुत से लोगों ने राहत की सांस ली।सुप्रीम कोर्ट ने यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट की वैधता बरकरार रखी है।यानी प्रदेश में मदरसा एक्ट जारी रहेगा।मदरसे चलते रहेंगे और मदरसों के स्टूडेंट सरकारी स्कूल नहीं भेजे जाएंगे।सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सुनाते हुए हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया,जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक बताया गया था।हालांकि,मरदसे अब यूजी (स्नातक) और पीजी (परास्नातक) की डिग्री नहीं दे पाएंगे।उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया है की यह सभी डिग्रियां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी से संबंधित है इसलिए इन डिग्रियों को देने का अधिकार मदरसा बोर्ड को नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।कोर्ट ने कहा यूपी मदरसा एक्ट के सभी प्रावधान मूल अधिकार या संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का उल्लंघन नहीं करते हैं।कोर्ट के फैसले से करीब 17 लाख मदरसा छात्रों को राहत मिली है। 5 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले पर रोक लगा दी थी। केंद्र और यूपी सरकार से इस पर जवाब भी मांगा था। इससे पहले, 22 अक्टूबर 2024 को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में इस पर सुनवाई हुई थी।चीफ जस्टिस ने कहा था।धर्मनिरपेक्षता का मतलब है-जियो और जीने दो। कोर्ट ने कहा था-हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सही नहीं है।ये कहना गलत होगा कि यह मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है।यहां तक कि यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में मदरसा एक्ट का बचाव किया था।इसके बाद 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।मिनहाज अंसारी ने कहा की कोर्ट के इस फैसले से मदरसा संचालको,अध्यापको और छात्रों के परिजनों ने राहत की सांस ली है।लेकिन इसके साथ ही साथ मदरसा प्रबंधको और अध्यापकों की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं कि वो मुख्य धारा में जुड़कर बच्चों को अच्छी से अच्छी तालीम देने की अपनी जवाबदेही तय करें।कोर्ट का कहना था कि मदरसों के छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना ठीक नहीं है।देश में धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही है।बौद्ध भिक्षुओं को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है।अगर सरकार कहती है कि उन्हें कुछ धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान की जाए तो यह देश की भावना है।

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