अंतर्राष्ट्रीय

शेख हसीना को अमेरिका ने बनाया बालि का बकरा

बंग्लादेश के प्रति चीन भी कर रहा था साजिश,दोनों की नीयत जान कर भारत ने भी बनाया तगड़ा प्लान

नई दिल्ली।चीन और अमेर‍िका जहां भी घुस जाएं, तबाही मचनी तय है. इराक-इरान, सीरिया-लीविया, इजराइल-फल‍िस्‍तीन, रूस-यूक्रेन… ये सब इसका सबूत हैं. लेकिन अब इन दोनों की जंग में बांग्‍लादेश बल‍ि का बकरा बन गया. चीन ने बांग्‍लादेश के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और आर्मी हार्डवेयर में भारी निवेश कर रखा है. हर साल वह बांग्‍लादेश में खर्च बढ़ाता जा रहा है. तो वहीं अमेर‍िका वहां एक सैन्‍य बेस बनाने की कोश‍िश कर रहा है, ताक‍ि उस जगह से वह चीन समेत कई मुल्‍कों पर न‍िगाह रख सके. भारत को यह खेल पता है, इसल‍िए वह फूंक-फूंककर कदम रख रहा है. क्‍योंक‍ि भारत की बांग्लादेश के साथ सबसे लंबी लगभग 4,096 किलोमीटर सीमा लगती है.
शेख हसीना ने अमेर‍िका पर आरोप लगाए हैं क‍ि वो सेंट मार्टिन आइलैंड पर कब्‍जा चाहता था. बीच में ऐसी खबर आई क‍ि वह सेंट मार्टिन द्वीप को पट्टे पर लेना चाहता है, ताक‍ि वहां एक एयरबेस और नेवल बेस बना सके. अमेरिका बांग्लादेश के साथ सैन्य संबंध रखता है. दोनों देशों की सेना संयुक्‍त युद्धाभ्‍यास करती हैं. लेकिन चूंक‍ि चीन भी बांग्‍लादेश के करीब आने की कोश‍िश कर रहा है, इसल‍िए बांग्‍लादेश ने अमेर‍िका को आर्मी बेस बनाने के ल‍िए आईलैंड देने से मना कर दिया. हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने इस तरह की बातों को खार‍िज किया है, लेकिन खुफ‍िया रिपोर्ट्स इशरा करती हैं क‍ि ऐसा जरूर हुआ है. इसल‍िए पहले उसने शेख हसीना को कई तरह के लालच दिए. बांग्लादेश को क्वाड अलायंस में शामिल होने का सुझाव भी दिया. लेकिन वे नहीं मानीं. अब कहा जा रहा है क‍ि अमेर‍िका ने ही बांग्‍लादेश में विद्रोह करवाया, ताक‍ि उसका मकसद पूरा हो सके. इसका सबूत, इस बात से भी मिलता है क‍ि अमेर‍िका बार-बार शेख हसीना सरकार को चेतावनी देता रहा है कि चुनाव निष्‍पक्ष नहीं हो रहे हैं.
*देश बांटने की भी मंशा*.
शेख हसीना को इसके बारे में पहले से अंदाजा था. वे जानती थीं क‍ि अमेर‍िका धार्मिक आधार पर बांग्‍लादेश का विभाजन करवाने की कोश‍िश कर रहा है. पूर्वी तिमोर जैसे गैर-मुस्लिम बहुल देश का निर्माण करवाने की उसकी मंशा है, ताक‍ि उसका मकसद पूरा हो सके. कुकी-चिन विद्रोही ईसाई विद्रोहियों की मदद कर रहे हैं. उन्‍हें बढ़ावा देने के लिए म्यांमार सेना के साथ लड़ रहे हैं. म्यांमार का कुकी चिन प्रांत, बांग्लादेश का चटगांव पहाड़ी इलाका और भारत का मिजोरम इस देश की बॉर्डर लाइन हो सकती है. दस लाख से ज्‍यादा चिन म्यांमार में रहते हैं. 10 लाख मिजो मिजोरम में रहते हैं, पांच लाख कुकी मणिपुर में रहते हैं और दसियों हजार कुकी बांग्लादेश में रहते हैं. म्यांमार की सेना और चिन लोगों के बीच जंग चल रही है. इनमें से 80,000 अमेर‍िका में बताए जा रहे हैं. हसीना को पता था क‍ि यह एक दिन बड़ा खतरा बन सकता है.
*चीन की नजर क्‍यों*
चीन रणनीत‍िक विस्‍तार करना चाहता है, जिसमें बांग्‍लादेश एक महत्‍वपूर्ण कड़ी है. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने बांग्‍लादेश को भारी मात्रा में हथ‍ियार और गोला बारूद दिया है. लड़ाकू जेट, युद्धक टैंक और नौसेना के फ्रिगेट, पनडुब्बियां और मिसाइल बोट वहीं से आते हैं. चीन ने बांग्‍लादेश के सैन्‍य इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में काफी पैसा लगाया है. जबक‍ि 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति के दौरान चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया था. आज वह बांग्लादेश एक भरोसेमंद सहयोगी मानता है. शायद पाक‍िस्‍तान से भी ज्‍यादा वह बांग्‍लादेश को तवज्‍जो दे रहा है. 2002 में चीन और बांग्लादेश ने एक बड़ा रक्षा समझौता क‍िया था. इसमें आर्मी ट्रेनिंग और आर्मी वेपन का प्रोडक्‍शन भी शामिल था. 2006 तक ऐसी स्‍थ‍ित‍ि आ गई क‍ि बांग्‍लादेश चीन में बने हथ‍ियारों का एक बड़ा खरीदार बन गया.
*अमेर‍िका को ठुकराया तो खुश हुआ चीन*.
जब शेख हसीना ने अमेर‍िका को सैन्‍य बेस बनाने की अनुमत‍ि नहीं दी, तो चीन ने शेख हसीना के फैसले का स्‍वागत क‍िया. चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है. उसने 25 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश क‍िया है. पाक‍िस्‍तान के बाद बांग्‍लादेश ही ऐसा है, जहां चीन सबसे ज्‍यादा पैसा निवेश कर रहा है. वह यहां पुल, सड़कें, रेलवे ट्रैक, हवाई अड्डे और बिजली संयंत्र बना रहा है. पद्मा ब्रिज रेल लिंक प्रोजेक्‍ट में उसका खूब पैसा लगा है. सबसे महत्‍वपूर्ण बात, बांग्लादेश के कई उत्पादों पर चीन में कोई टैरिफ नहीं है. बांग्लादेश लगभग 86 प्रतिशत सैन्य हार्डवेयर चीन से मंगाता है. इसल‍िए बांग्‍लादेश चीन की बात नकार नहीं सकता. यही जंग बांग्‍लादेश को ले डूबी.

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