स्वयं और दुनिया के साथ सामंजस्य बनाये रखने का विज्ञान’ है योग:कर्ण बहादुर सिंह
स्वयं और दुनिया के साथ सामंजस्य बनाये रखने का विज्ञान' है योग:कर्ण बहादुर सिंह
गाजीपुर।पीजी कालेज में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया।यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक,शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।उक्त संगोष्ठी मे विज्ञान संकाय के शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विषय के शोधार्थी कर्ण बहादुर सिंह ने अपने शोध शीर्षक “विभिन्न योगिक क्रियाओं का जीवन शैली पर प्रभाव “.नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि विभिन्न योगिक क्रियाओं का मानव जीवन शैली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है सामान्यतः योग ‘स्वयं और दुनिया के साथ सामंजस्य बनाये रखने का विज्ञान’ है। यह न केवल मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए है, बल्कि मन और आत्मा को भी सक्रिय बनाये रखने में मदद करता है। योगाभ्यास शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़कर हमारे दृष्टिकोण, व्यवहार को सकारात्मक रूप से बदलकर खुशी, शांति, संतुष्ठी और आनंदपूर्ण रहने के लिए सक्षम बनाता है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी कर्ण बहादुर सिंह ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक डॉ० अनुराग सिंह एवं शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० लवजी सिंह, डॉ० ओमदेव सिंह गौतम , प्रोफे०(डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० अमरजीत सिंह, डॉ० प्रोफे० (डॉ०) सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ०शिवशंकर यादव, डॉ. मनोज कुमार मिश्र, प्रोफे० (डॉ०) सुनील कुमार, डॉ० संजय श्रीवास्तव एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।