अंतर्राष्ट्रीय

“दफ्तर है सरकारी,समय से नहीं पहुंच रहे कर्मचारी”

सीएम की भी नहीं सुनते अफसर और कर्मचारी,फरियादी निराश

गाजीपुर।सीएम योगी आदित्यनाथ सरकारी मशीनरी को सुधारने में लगे हैं।सरकारी दफ्तरों में बायोमैट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू कर दी गई है।जिससे कर्मचारी समय से कार्यालय पहुंचकर गुड गवर्नेस और जनता की सेवा के लिए तत्पर रहे।लेकिन अमले की आदतों में कोई बदलाव नहीं आ पाया है।कर्मचारी हों या अधिकारी देर से आना और जल्दी जाने का अपना पुराना ढर्रा नहीं छोड़ पा रहे हैं।
जिले में सरकारी कर्मचारी योगी आदित्यनाथ सरकार की मेहनत पर पतीला लगाने में जुटे हैं।असल में शहर के सरकारी कार्यालयों की स्थितियां यही बयां कर रही है।मीडिया टीम ने बुधवार को कोषागार विभाग का जायजा लिया।तो सवा दस बजे तक कोषागार में कोई कर्मचारी उपस्थित नहीं थे।साढ़े दस बजे तक टीम के मौजूद रहने तक केवल दो कर्मचारी ही आए।आपको बता दें कि मुख्यमंत्री की ओर से कर्मचारियों को नियमित रूप से कार्यालयों में उपस्थित होने के निर्देश दिये गये हैं।मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी एवं विभागाध्यक्षों को पत्र भेजकर कहा कि कार्यालय में समय से कर्मचारी पहुंचे। कोषागार में सुबह दस बजे काम शुरू होने का नियत वक्त है। मगर बुधवार को सुबह 10 बजे जब संवाददाता ने कोषागार ऑफिस का मुआयना किया तो अफसर गायब दिखे।कुछ कर्मचारी आये थे, तो वहीं चतुर्थ श्रेणी के अधिकांश कर्मचारी अपने काम पर पहुंच चुके थे।इनके अलावा कोषाधिकारी नदारद रहे।लिपिक वर्ग के कर्मचारी साढ़े दस बजे तक गिनती के दो तीन ही पहुंचे थे।जबकि असहाय वृद्ध महिला और पुरुष जीवित प्रमाण पत्र और अन्य काम से सुबह दस बजे से पहुंचने लगे थे।कोषाधिकारी उमेश उपाध्याय से मोबाइल फोन पर संपर्क कर जानकारी लेने के लिए गई तो उन्होंने कहा कि शहर में जाम से कभी कभी कर्मचारियों को आने में देर हो जाती है।

कोषागार में दलालों का ‘दबदबा, चढ़ावा चढ़ाना मजबूरी
बिना दलाल नहीं होता काम, अधिकारियों से सेटिंग का उठाते लाभ
एरियर और अन्य देयकों के नाम पर दो से तीन फीसदी तक होती वसूली
गाजीपुर। कोषागार में बिचौलियों की सक्रियता से कर्मचारियों और पेंशनरों को अपना धन प्राप्त करने में खासी परेशानी उठानी पड़ती है। कार्यालय में किसी काम को लेकर जाने वाले लोगों का चढ़ावा चढ़ाए बिना आसानी से काम नहीं हो पाता। इसकी बानगी कई बार देखने को मिलती है जब लोग इसकी शिकायत लेकर उच्चाधिकारियों के पास पहुंचते हैं। बीते दिनों रिश्वत के मामले में बेसिक शिक्षा विभाग में एक कर्मचारी पर कार्रवाई की गाज गिर चुकी है। वही जिला सचिवालय से पूर्व जिलाधिकारी ने खुद एक दलाल को गिरफ्तार करा चुकी है। ऐसा नहीं है कि शासन और प्रशासन को इसकी खबर नहीं है अगर ऐसा न होता तो इन दिनों सरकारी कार्यालयों में अभियान चलाकर छापेमारी क्यों की जाती। सरकारी महकमे में बिना दलाल काम करा पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि टेढ़ी खीर है। अधिकारियों से अपनी पैठ बनाकर पीडितों से उनका काम करवा देने के नाम पर चौथ वसूलना अब आम बात है। अधिकारियों से सेटिंग कर पीडितों से अच्छी खासी वसूली कर अधिकारियों से बंदरबांट करने का खेल कभी भी देखा जा सकता है। ऐसा भी नहीं कि अधिकारी कुछ जानते न हो। सब कुछ जानने के बाद अंजान बना रहना शायद उनकी मजबूरी हो सकती है। अधिकारी पीडित से सीधे कुछ ले नहीं सकता, ऐसे में यह दलाल ही पीड़ित और अधिकारी के बीच सेटिंग कराने की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। ऐसा ही मामला बीते दिनों एक वीडियो वायरल में देखने को मिल रहा है। जिसमें इंटर कॉलेज के शिक्षक कोषाधिकारी से रिश्वतखोरी की शिकायत दर्ज करा चुके हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस पूरे मामले से विभाग के अधिकारी अनजान बने हुए हैं। आखिर अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते कब तक लोगों को बेवकूफ बनाया जाता रहेगा। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री चौधरी दिनेश चंद्र राय का कहना है कि कोषागार में भ्रष्टाचार को लेकर कई बार अधिकारियों को चेतावनी भी दी है, लेकिन उसके बावजूद भी काम काज कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बताया कि प्रशासन व कर्मियों का रवैया ठीक नहीं है। कर्मी पूरे दिन फरियादियों को टहलाते रहते है।

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