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दोष किसका है यह बाद में तय कर लेंगे/पहले नाव को तुफ़ाॅं से बचाना है

दोष किसका है यह बाद में तय कर लेंगे/पहले नाव को तूफ़ाॅं से बचाना है

गाजीपुर।अखिल भारतीय साहित्य परिषद’के तत्वावधान में, गाजीपुर इकाई-प्रमुख कवि हरिशंकर पाण्डेय के संयोजकत्व में,पी.जी.काॅलेज,के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर डॉ.अम्बिका पाण्डेय के शास्त्रीनगर स्थित आवास पर एक सरस काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया।अध्यक्षता डॉ.अम्बिका पाण्डेय एवं संचालन सुपरिचित नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने किया। मंचीय औपचारिकताओं के पश्चात् आगंतुक कविगण एवं अतिथियों का डाॅ.संजय कुमार पाण्डेय ने वाचिक स्वागत किया।गोष्ठी का शुभारंभ महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। प्रथम काव्याहुति के रूप में युवा कवि डॉ.संजय कुमार पाण्डेय ने अपनी कविता “ज़िन्दगी एक जंग है,हर महफ़िल में इक रंग है/अन्तिम मंज़िल तक उमंग है,पर साथ न जाता कोई संग है” प्रस्तुत कर अतीव प्रशंसा अर्जित की।काव्यपाठ के इसी क्रम में लोकरस में पगे गीतों से रससिक्त करने वाले भोजपुरी एवं हिन्दी के गीतकार हरिशंकर पाण्डेय ने अपना गीत “अबकी रण जो जीतेंगे मेरे सैनिक/इंची भर भी ज़मीं नहीं वापस देंगे/धर्म पूछकर हत्या करने वालों को/बहत्तर हूरों से वो फ़ौरन मिलवा देंगे” प्रस्तुत कर ख़ूब तालियाॅं अर्जित की। युवा नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने वर्तमान वैश्विक युद्धरत समय को रेखांकित करता हुआ अपना नवगीत “ऑंखों में तिर रहे आज फिर/वही अधजले ख़्वाब/मरें न पंछी प्यासे जल बिन/ सूखे नहीं ग़ुलाब/बन्द करो अब युद्ध/युद्ध में झुलसी नन्हीं कली/ कली पर बैठी है तितली
सुनाकरश्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए अतीव प्रशंसा अर्जित की। नगर के युवा ग़ज़ल-गो गोपाल गौरव ने “उनसे जब से मेरी दोस्ती हो गई/ज़िन्दगी में मेरी रौशनी हो गई/ख़ुश मुझे देखकर वो परेशान थे/है यही बात जो दुश्मनी हो गई” इन शेरों पर खूब वाहवाही लूटी। नगर के वरिष्ठ कवि, वीर रसावतार दिनेशचन्द्र शर्मा ने अपनी कविता “दोष किसका है यह बाद में तय कर लेंगे/पहले नाव को तूफ़ाॅं से बचाना है” सुनाकर श्रोताओं में ओजत्व का संचार कर ख़ूब वाहवाही बटोरी।अन्त में महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी ने नैतिक मूल्यों के संरक्षण की ओर ध्यानाकर्षण करते हुए अपनी छान्दस कविता ” टूटते हैं आपस के मधुर सम्बन्ध यदि/हृदय से हृदय का तार दृढ़ जोड़ दें”प्रस्तुत कर ख़ूब प्रशंसा अर्जित की।इस काव्यायोजन में उपस्थित रसभावक,प्रबुद्ध श्रोतागण काव्य-पाठ से आनन्द-विभोर होकर बहुत देर तक अपनी करतल ध्वनि से पूरे परिसर को गुंजायमान करते रहे।अन्त में अध्यक्षीय उद्बोधनोपरान्त डॉ.संजय कुमार पाण्डेय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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