अंतर्राष्ट्रीय

‌हिन्दी पत्रकारिता दिवस दो शताब्दी पूरे करने की ओर, कई चुनौतियां अब भी बरकरार:उपेन्द्र यादव

‌प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी भारतीय पत्रकारिता ने अपनी विकास यात्रा तय किया

गाजीपुर।हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर मतदाता जागरूकता अभियान के तहत यूनाइटेड मीडिया के उपस्थित लोगों को मतदान के प्रति जागरूक किया गया, तथा मतदान करने की शपथ दिलाई गई।इसके साथ ही संयुक्त रूप से हिंदी पत्रकारिता दिवस कार्यक्रम का भी आयोजन यूनाइटेड मीडिया पत्रकार एसोसिएशन के तत्वाधान में लहुरी काशी पैलेस चंदननगर रौजा गाजीपुर पर संपन्न हुआ।जिसमें यूनाइटेड मीडिया के संस्थापक अध्यक्ष उपेन्द्र यादव यादव ने कहा कि भारतीय प्रेस ने और हिन्दी पत्रकारिता ने आपातकाल और अघोषित आपातकाल भी देखे है।तमाम बाधाओं,प्रतिबंध और प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी भारतीय पत्रकारिता ने अपनी विकास यात्रा तय किया है। भारतीय लोकतंत्र के संरक्षण और संवर्धन में पत्रकारिता, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आजादी के बाद के पत्रकारिता के विकास में बड़े-बड़े शहरों के अलावा छोटे-छोटे नगरों में भी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन का सिलसिला जारी है। वर्तमान में हिन्दी में अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है, कभी सीमित संसाधनों में चलने वाली पत्र-पत्रिकाए आज अच्छी आर्थिक स्थिति में हैं, परंतु लघु एवं माध्यम समाचार पत्र पत्रिकाओं की स्थिति अभी भी चिंताजनक है ।
वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार मौर्य ने बताया कि 30 मई 2024 को भारतीय हिन्दी पत्रकारिता 198 वर्षों की हो गयी। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अपना अलग महत्व रखने वाला समाचार पत्र ‘‘उदन्त मार्तण्ड’’ हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र, 30 मई 1826 को कलकत्ता से साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ, इसका प्रकाशन जुगल किशोर शुक्ल ने किया। इस समाचार पत्र के अंक हिन्दी की खड़ी बोली और ब्रज भाषा के मिश्रण में प्रकाशित होते थे। इसके प्रथम अंक की 500 प्रतियां प्रकाशित की गईं, यह समाचार पत्र प्रत्येक मंगलवार को प्रकाशित होता था।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश यादव ने कहा कि 1820 के युग में बंग्ला, उर्दू तथा कई भारतीय भाषाओं में पत्र प्रकाशित हो चुके थे। 1819 प्रकाशित बंगाली दर्पण के कुछ हिस्से हिन्दी में भी प्रकाशित हुआ करते थे, लेकिन हिन्दी के प्रथम समाचार पत्र होने का गौरव ‘‘उदन्त मार्तण्ड’’ को प्राप्त है। 30 मई 1826 को प्रकाशित यह समाचार पत्र 4 दिसंबर 1827 को बंद हो गया। इसके बंद होने में ब्रिटिश शासन का असहयोग मुख्य कारण बताया जाता है। हिन्दी पत्रकारिता दिवस प्रत्येक वर्ष ‘‘30 मई’’ को मनाया जाता है। प्रथम हिन्दी समाचार पत्र के प्रकाशक पं. जुगल किशोर मूलतः कानपुर के निवासी थे। वे सिविल एवं राजस्व उच्च न्यायालय कलकत्ता में पहले कार्यवाहक रीडर तथा बाद में वकील बन गए।
वक्ताओं के क्रम में प्रदेश अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने मतदाता जागरूकता अभियान एवं हिंदी पत्रकारिता दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1920 में गांधी जी का भारतीय राजनीति में प्रवेश हुआ। भारतीय इतिहास में 1920 से 1947 का समय गांधी युग के नाम से जाना जाता है। 1920 से 1947 तक की भारतीय पत्रकारिता के अधिकांश समाचार पत्र स्वतंत्रता आंदोलन के रंग में रंगे थे। आज के दिन इस बात का उल्लेख नितांत आवश्यक है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिन्दी एवं भाषायी पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, भारतीय पत्रकारिता स्वतंत्रता आंदोलन की साक्षी रही है। और हम सभी को मतदान के दिन अपने मत का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जिससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष लोकतंत्र बरकरार रखा जा सके।
राजकुमार मौर्य ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तीव्र गति से हिन्दी पत्रकारिता ने प्रगति की, भारत के समाचार पत्र पंजीयक के अनुसार भारत में सर्वाधिक समाचार पत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित हो रहे हैं। दूसरे स्थान पर अंग्रेजी भाषा के पत्र हैं। आजादी के बाद समाचार पत्रों की रीति एवं प्रकाशन में काफी परिवर्तन आया है। ‘‘ब्लैक एण्ड व्हाइट’’ प्रिंटिंग से मुद्रण तकनीक बहुरंगीय प्रिंटिंग में बदल गई। समाचार संकलन एवं संपादन के तरीकों में भी काफी परिवर्तन आया है। क्षेत्रीय और स्थानीय पत्रिका को समाचार पत्रों में अच्छा स्थान मिलने लगे है। वही इंटरनेट ने पत्रकारिता के व्यवसाय को काफी गति प्रदान किया है। संपादकीय सामग्री (कंटेन्ट) में भी कई तरीके के बदलाव आए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सैयद अहमद अली उर्फ तारीख चाचा तथा संचालन हिमांशु मौर्य ने किया। इस अवसर पर जनपद के ग्रामीण एवं शहरी अंचलों के पत्रकारो जिसमें मुख्य रूप से उपेन्द्र यादव, सैयद अहमद अली उर्फ तारिक, इंद्रजीत सिंह, साकिब अब्बासी, राजेश यादव, मजहरूल, रविंद्र सिंह यादव, विश्व बंधु कमांडर, बिलाल अहमद, आशीष गुप्ता, राजकुमार मौर्य, जावेद अहमद खान, सुनील सिंह कुशवाहा, हिमांशु मौर्य, दिनेश कुमार, विजय कुमार, शैलेंद्र कुमार, नियाज अहमद, रोहित चौबे, रशीद अंसारी, अफसर हुसैन, राहुल वर्मा, मंगल तिवारी, बलिंदर सिंह यादव, गुड्डू सिंह यादव, शशिकांत जायसवाल, रमेश पटेल, रमेश यादव, अविनाश यादव, बृजेश कुमार, तारीख अब्बासी, श्रीकांत विश्वकर्मा, मनीष कुमार गुप्ता, विमल कुमार यादव, इसरार, सुनील कुशवाहा, संदीप कुशवाह, अरविंद कुमार सिंह, मनोज सिंह कुशवाहा, कृपा शंकर यादव, एजाज खान, अवशेष कुमार, अंकित कुमार, आनंद कुमार, त्रिलोकी नाथ, कपिल देव राव, मोहम्मद कादिर, रवि देवगिरी, घनश्याम सिंह, मनीष कुमार भारद्वाज, घनश्याम सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, सोनू, महताब आलम, राकेश कुमार, अखिलेश सकि्वंशी, चुन्नू यादव, नीरज यादव और पवन यदुवंशी आदि उपस्थित रहे।

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