अवैध तरीके से मांस की दुकान लगाना और पशुओं की हिंसा करना प्रतिबंधित है उसके बाद भी कारोबार चल रहा
चट्टी चौराहे व बाजार में खुले में मुर्गा,बकरा,सुअर का मांस व मछली की बिक्री की जा रही

गाजीपुर।नियमों का उल्लंघन कर मरदह क्षेत्र के करदह कैथवली,हैदरगंज,मटेहूं,गांई,घरिहां,पन्सेरवां,तांती,
बहलोलपुर,नरवर,बरही,सियारामपुर,भड़सर,बिहरा,
कहोत्तरी,मरदह,महाहर धाम,दुर्खुर्शी,तेजपुरा,इंदौर,
डोड़सर,भीड़वल,सिगेंरा चट्टी चौराहे व बाजार में खुले में मुर्गा,बकरा,सुअर का मांस व मछली की बिक्री की जा रही है.सबसे अधिक परेशानी कंसहरी गांव से मरदह-कासीमाबाद बाईपास मार्ग की है।इस महत्वपूर्ण सड़क से प्रतिदिन हजारों गाड़ियां एवं हजारों लोग गुजरते हैं.गांव से बस स्टेशन जाने-वाले लोग इस सड़क का उपयोग करते हैं.वहीं प्रतिदिन हजारों लोग अपने विभिन्न कामों को लेकर आते व जाते हैं.उन्हें कठिन स्थितियों का सामना करना पड़ता है। यहां सरकारी शराब की तीन दुकानें भी स्थित है जहां शराबियों का जमावड़ा भी आएं दिन तांडव करता है।इस मार्ग से महिलाओं व युवतियों का पैदल चलना दुश्वार है,बड़ी मुश्किल से कोई इस रास्ते से गुजर पाता है।ब्लाक मोड़ व महाहर धाम तिराहा के पास खुले में मांश- मछलियों की बिक्री की जाती है. इतना ही नहीं मरदह बाजार में मांस-मछली की दुकानें अन्य कई सड़कों और चौक-चौराहों पर सजाई जाती हैं,लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि किसी भी दुकान के पास लाइसेंस नहीं है.फिर भी बाजार व गांव में खुलेआम बकरे,मुर्गे की मांस व मछली की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है.इनका तराज़ू व माट-बाट सही नहीं है।कई जगह मंदिरों के पास भी मांस मछली की बिक्री की जा रही है,पर जिम्मेवार लोगों द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है,खुले में मांस व मछली की बिक्री से संक्रमण का खतरा बना रहता है.मांस और मछली से दुर्गंध निकलता है.इतना ही नहीं,जिस बर्तन में पानी भर कर मछली को रखा जाता है,उस पानी को सड़क पर बहा दिया जाता है.इससे लोगों को काफी परेशानी होती है,पर धड़ल्ले से चल रही ऐसी दुकानों के संचालकों पर कोई असर नहीं दिखता.बिना किसी खौफ के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मांस बिक्री का कारोबार चल रहा है.वहीं इन रास्तों से रोजाना गुजरने वाले तमाम वरीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी मानो इससे मुंह फेर लेते हैं.बाजार में बकरे और मुर्गे की दुकानें सड़क के किनारे गुमटियों व स्थायी दुकानों से संचालित हो रही हैं.हैरत की बात यह है कि कुछ दुकानदार अस्वस्थ बकरे और मुर्गे के मांस को बेच लोगों में बीमारी परोस रहे हैं.सफाई के अभाव में तेज दुर्गंध निकलती है.महिलाएं नाक बंद कर दुकानों के रास्ते से गुजरती हैं.शाकाहारी लोगों का तो और भी बुरा हाल हो जाता है।राजस्व विभाग,माट बांट विभाग,पुलिस, ग्राम पंचायत,क्षेत्र पंचायत,जिला पंचायत,स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग के खुले संरक्षण के चलते ही खुले में मांस बेचा जा रहा है़.जबकि खुले में जानवरों को काटने व कटे जानवर बेचने पर भी प्रतिबंध है.नियमों के लागू न होने के अभाव में खुले में जानवरों के कटने से गंदगी तो फैलती ही है.हालात तो यहां तक गड़बड़ है कि बिक रहे जानवरों की जांच कर सके कि वे स्वस्थ भी हैं या नहीं.इतना ही नहीं दुकानों के सामने टाट आदि लगाने की व्यवस्था दुकानदारों द्वारा नहीं की जाती है.मांस का टुकड़ा भी खुले में न हो.वह कपड़े आदि से ढंका हो.औजारों को विसंक्रमित करने के बाद ही जानवरों काटा जाना चाहिए,ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न हो।
क्या है नियमावली:प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल एक्ट 1960 के तहत अवैध तरीके से मांस की दुकान लगाना और पशुओं की हिंसा करना प्रतिबंधित है.यहां तक कि इनका गलत तरीके से ढोना भी अपराध की श्रेणी में आता है.इस क्रूरता को रोकने के लिए पशुपालन विभाग,नगर निगम और पुलिस प्रशासन सभी को शक्तियां दी गयी हैं,लेकिन कोई इसका प्रयोग नहीं कर रहा.बिना लाइसेंस के चल रहीं दुकानों को नगर निगम कभी भी बंद करा सकता है,या फुटपाथ से हटा सकता है.नियम यह कहता है कि बिना अनुज्ञप्ति के नहीं चले मांस दुकान,खुले में नहीं बिके मांस,दुकानों पर मांस को काले कपड़ों में ढक के रखा जाये.काटे गये जानवरों के अवशेषों को यहां-वहां नहीं फेंका जाये.औजारों को विसंक्रमित करने के बाद ही जानवरों को काटा जाना चाहिए,लेकिन यह सब नहीं हो रहा है।