सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है।गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है
सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है।गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है

मरदह गाजीपुर।गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।गुरु की कृपा के बिना भगवान् की प्राप्ति असंभव है।जिनके दर्शन मात्र से मन प्रसन्न होता है,अपने आप धैर्य और शांति आ जाती हैं,वे परम गुरु हैं।गुरु की भूमिका भारत में केवल आध्यात्म या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं रही है,देश पर राजनीतिक विपदा आने पर गुरु ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उबारा भी है।अर्थात अनादिकाल से गुरु ने शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है।अतः सद्गुरु की ऐसी महिमा के कारण उसका व्यक्तित्व माता-पिता से भी ऊपर है।उपरोक्त बातें महंत बाल योगी महेश दास जी ने सीतादास बेलसड़ी धाम सिगेंरा पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा।साथ ही सभी संत महात्मा गुरुजनों का पूजन अर्चन कर नमन किया।गुरु महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहाकि गुरु तथा देवता में समानता के लिए एक श्लोक के अनुसार- ‘यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरु’ अर्थात जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी।बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है।गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।उन्होंने कहा कि जब तीन उत्तम शिक्षक,एक माता,दूसरा पिता और तीसरा आचार्य हो तभी मनुष्य ज्ञानवान होगा।बच्चा जन्म लेने के बाद जब बोलना सीखता है तब वह सबसे पहले जो शब्द बोलता है वो शब्द होता है “मां”।एक मां ही बच्चे को बोलना, खाना-पीना, चलना-फिरना आदि सिखाती है इसलिए एक मां ही हर मनुष्य की प्रथम गुरु होती है।माता से ही बच्चा संस्कार ग्रहण करता है।माता के उच्चारण व उसकी भाषा से ही वह भाषा-ज्ञान प्राप्त करता है।यही भाषा-ज्ञान उसके संपूर्ण जीवन का आधार होता है।