जद्दुपट्टी गांव के अनन्तू सिंह की धर्मपत्नी श्यामरथी के तेरहवीं कार्यक्रम में लगा दिग्गजों का जमावड़ा
जीवन के मार्ग में अध्यात्म के रास्ते परोपकार कार्य करने चाहिए


गोरखपुर।सिकरीगंज थाना क्षेत्र के जद्दुपट्टी गांव निवासी अनन्तू सिंह की धर्मपत्नी श्रीमती श्यामरथी सिंह के निधन उपरांत तेरहवीं कार्यक्रम में लगा दिग्गजों का जमावड़ा।मालूम हो कि श्यामरथी सिंह पिछले दिनों 12 अप्रैल को लोकावास को प्राप्त हो गयी थी।जिनका वैदिक नियमानुसार ब्रम्हभोज कार्यक्रम वृहस्पतिवार की देर शाम को सम्पन्न हुआ।जिसमें हजारों लोगों ने स्व.श्यामरथी सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि देते हुए मृतक आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना कर भण्डारे में प्रसाद ग्रहण किया।इस अवसर पर अयोध्या धाम हनुमान गढ़ी बड़ा अखाड़ा से जुड़े श्री गंगादास जी महाराज,संत अजबदास जी महाराज ने कहा कि जो इस जग में आया है उसको एक दिन इस माया रूपी संसार को छोड़कर परलोक सिधार जाना है।प्रत्येक मनुष्य परमात्मा की देन से उनके माता पिता के अच्छे कर्मों का फल है की वह सुव्यवस्थित है लेकिन उन्हें भी अपने जीवन के मार्ग में अध्यात्म के रास्ते परोपकार कार्य करने चाहिए जिससे उनकी आनी वाली पीढ़ी भी लाभान्वित हो।आगे कहां कि गुरु की कृपा के बिना भगवान् की प्राप्ति असंभव है।जिनके दर्शन मात्र से मन प्रसन्न होता है,अपने आप धैर्य और शांति आ जाती हैं।गुरु के कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।उन्होंने कहा कि जब तक उत्तम शिक्षक,एक माता,दूसरा पिता और तीसरा आचार्य हो तभी मनुष्य ज्ञानवान होगा।बच्चा जन्म लेने के बाद जब बोलना सीखता है तब वह सबसे पहले जो शब्द बोलता है वो शब्द होता है “मां”।एक मां ही बच्चे को बोलना,खाना-पीना,चलना-फिरना आदि सिखाती है इसलिए एक मां ही हर मनुष्य की प्रथम गुरु होती है।माता से ही बच्चा संस्कार ग्रहण करता है।माता के उच्चारण व उसकी भाषा से ही वह भाषा-ज्ञान को प्राप्त करता है।यही भाषा-ज्ञान उसके संपूर्ण जीवन का आधार होता है।पूरे मानव समाज के लिए मां का दर्जा सबसे उंचा है।मां कभी मरती नहीं है वह हमेशा अमर रहती है।इस मौके पर श्रद्धांजलि देने वालों में भारतीय अपना समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी, हरिनारायण सिंह, इन्द्रजीत सिंह,जिला उपाध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा सुरेन्द्र प्रताप सिंह कल्लू, छात्र नेता दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज दीपक सिंह,अजय सिंह लल्लू,इष्टदेव सिंह,त्रिभुवन नाथ सिंह, तेजनारायण सिंह,हवलदार सिंह,ओमप्रकाश सिंह,इन्द्रसेन सिंह,आदि मौजूद रहे।