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हरी खाद उगायें भूमि की उर्वरता बढ़ायें:डॉ संजीत कुमार

हरी खाद उगायें भूमि की उर्वरता बढ़ायें:डॉ संजीत कुमार

बलिया।आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र,सोहाँव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने बताया कि
किसान भाई रबी की फसलों की कटाई के बाद अप्रैल-मई महीने में हरी खाद उगाने के लिए 40-45 कि.ग्रा. प्रति है. की दर से ढेंचा का बीज की बुवाई कर दे l जरूरत पढ़ने पर 15 से 20 दिन में ढेंचा फसल की हल्की सिंचाई कर लें । बुवाई से लगभग 40 से 50 दिन की अवस्था पर हरी खाद को मिट्टी पलट हल की सहायता खेत में मिलाकर खेत में पानी भर दें l जिससे लगभग 60 से 70 कि.ग्रा. नाइट्रोजन प्रति है. प्राप्त होती है।*हरी खाद के लाभ*हरी खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक एवं जैविक दशा में सुधार होता है ।
हरी खाद से मृदा उर्वरता को बनाये रखने के लिए,भूमि में पोषक तत्वों की भरपाई होती है।सूक्ष्म जीवाणुओं की गतिविधियों को बढ़ाता है। मिट्टी की संरचना में सुधार होने के कारण फसल की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है। हरी खाद के लिए उपयोग किये गये फलीदार पौधे वातावरण से नाइट्रोजन व्यवस्थित करके नोडयूल्स में जमा करते हैं, जिससे भूमि की नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ती है।हरी खाद के लिये उपयोग किये गये पौधों को जब जमीन में हल चला कर दबाया जाता है तो उनके गलने सड़ने से नोडयूल्स में जमा की गई नाइट्रोजन जैविक रूप में मिट्टी में वापिस आ कर उसकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। पौधों के मिट्टी में गलने सड़ने से मिट्टी की नमी को जल धारण की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। हरी खाद का उपयोग करके रासायनिक उर्वरकों की बचत की जा सकती है। हरी खाद एक प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल तरीका है जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है।

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