अंतर्राष्ट्रीय

पंथी विराट यादव ने हवन पूजन के बाद मंत्रोचारण से अग्नि प्रज्वलित‌ कर आश्चर्यचकित किया

खौलती दूध की ताई में हाथ डालकर पूरे शरीर में लेपन किया और खौलते दूध से नहाया

जखनियां गाजीपुर।क्षेत्र के गोविंद जखनिया गांव के परसुपुर गांव में काशी दास बाबा की पूजा के लिए वाराणसी के क्षित्तमपुर के पंथी विराट यादव ने हवन पूजन के बाद मंत्रोचारण से अग्नि प्रज्वलित कर पूजा की शुरुआत की। दुर्गा काली,व बन सत्ती काली के नाम का जयकारा लगवाते हुए चल रही खौलती दूध की ताई में हाथ डालकर पूरे शरीर में लेपन किया और खौलते दूध से नहाया ही नहीं बल्कि लोगों का संदेह दूर करने के लिए माता बन सत्ती की असीम शक्ति से दर्शक दीर्घा से किसी अन्य अबोध बालक को भी खौलते दूध व घी से नहलाया । खौलते दूध से नहाने के बाद बालक ने दूध को ठंडा बताकर लोगों को स्तब्ध कर दिया। पंथी ने बताया कि यह हवन पूजन सबसे पहले महाभारत काल में ही भगवान कृष्ण द्वारा यदुवंशियों के साथ वनों में कराई गई थी ।खुश होकर श्रीकृष्ण भगवान ने अपने यदुवंशी भक्तों को काशी दास बाबा के रूप में दर्शन दिया था।। तबसे लोग काशी दास बाबा को भी साक्षात भगवान कृष्ण के रूप में मानते और पूजते आ रहे हैं। इन्होंने तमाम उपदेश देते हुए बताया कि आज भी सभी दुखों का एक ही कारण है मानव का संस्कारहीन होना । जीवन मे राम राज्य लाना है तो माता-पिता की सेवा करें , इनका सम्मान करें ।जीवन में सब कुछ मिलेगा घर की प्रथम शिक्षिका मां होती है ऐसा नहीं करने पर लड़के संस्कार विहीन हो जाते हैं। काशी दास बाबा का पूजन करने से जीवन में सुख शांति मिलती है। और बुराइयों से रहने की प्रेरणा मिलती है। काशी दास बाबा साक्षात भगवान श्री कृष्ण के रूप थे जिन्हे भक्त स्मरण कर‌ आज भी पूजा में जयकारा लगाते हैं ।कार्यक्रम में आचार्य पंडित सर्वानंद चौबे व आयोजन कमलेश यादव ने लोगों को प्रसाद वितरित किया। जहां पर सैकड़ों की संख्या में शामिल होकर लोग अपने को धन्य हुए।

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