भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में कृषि क्षेत्र की महती भूमिका:डॉ.संगीता बलवंत
भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में कृषि क्षेत्र की महती भूमिका:डॉ.संगीता बलवंत

गाजीपुर।पी.जी. कॉलेज में बी.एससी. (कृषि) सातवें सेमेस्टर के छात्रों के पाठ्यक्रम के अंतर्गत संचालित ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (Rural Agricultural Work Experience – RAWE) कार्यक्रम के तहत “संरक्षण कृषि: मृदा स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार हेतु आधुनिक तकनीकें” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला कृषि संकाय एवं कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में संपन्न हुई, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों, विषय-विशेषज्ञों, शोधार्थियों और छात्रों ने सक्रिय भागीदारी की।मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद डॉ.संगीता बलवंत ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि क्षेत्र सरकार की प्राथमिकताओं में है, जिसे बजट में भी विशेष महत्व दिया गया है। उन्होंने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत अब 5 लाख रुपये तक का ऋण किसानों को पात्रता पूरी करने पर उपलब्ध होगा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से किसानों की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने का सतत प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक मजबूत वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, जिसमें कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका है।वर्तमान सरकार कृषि शिक्षा को भी बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत कई नए कृषि संस्थानों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही है।कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि कृषि उप निदेशक डॉ.अतिंद्र सिंह ने कृषि सुधारों एवं सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।वहीं कृषि वैज्ञानिक डॉ.धर्मेंद्र कुमार सिंह ने मृदा क्षरण और कटाव को रोकने के उपायों पर प्रकाश डालते हुए सीढ़ीदार खेतों, कवर फसलों और मृदा संशोधन जैसी तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया।उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य में सुधार कर कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) राघवेंद्र कुमार पांडेय ने कहा कि कृषि व्यवसाय में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, जो सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं,बल्कि शहरी युवाओं को भी उद्यमिता के नए अवसर प्रदान करती हैं।उन्होंने बताया कि भारत कृषि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर दूसरे स्थान पर है और यह देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कोरोना महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत, जो 1965 से पहले खाद्यान्न के लिए अन्य देशों पर निर्भर था,हरित क्रांति के माध्यम से आत्मनिर्भर बना।इस कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर प्रो. (डॉ.) जी. सिंह ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा कृषि स्नातक पाठ्यक्रम में ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (RAWE) को शामिल किया गया है। इसके तहत छात्रों को 20 सप्ताह तक प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा,जिसमें एक सप्ताह कॉलेज कैंपस में,पांच सप्ताह कृषि विज्ञान केंद्र में,तीन सप्ताह प्लांट हेल्थ क्लिनिक में,आठ सप्ताह किसानों के साथ गाँवों में व्यवहारिक प्रशिक्षण, तीन सप्ताह एग्रो-इंडस्ट्री में प्रशिक्षण और एक सप्ताह प्रोजेक्ट तैयार करने और प्रस्तुत करने का प्रशिक्षण शामिल होगा।इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अरुण कुमार यादव, डॉ. योगेश कुमार, डॉ. शिव शंकर सिंह यादव, डॉ. अशोक कुमार, कृषि वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह, डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ. शिव कुमार सिंह, इंजीनियर आशीष बाजपेई, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, डॉ. सत्येंद्रनाथ सिंह, डॉ. रामदुलारे, इंजीनियर मनोज कुमार मिश्र, डॉ. रागिनी अहिरवार, डॉ. गौतमी जैसवारा, डॉ. कपिल देव शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. (डॉ.) राघवेंद्र कुमार पांडेय ने की तथा संचालन कोऑर्डिनेटर प्रो. (डॉ.) जी. सिंह ने किया। अंत में प्रतिभागी छात्र एवं छात्राओं को प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किया गया।