अंतर्राष्ट्रीय

दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन महाकुंभ सम्पन्न,बिना खड्ग बिना ढाल

पुलिस कर्मियों के ड्रेस कोड "वर्दी" का हिस्सा रूल/लाठी का नहीं दिखना बना चर्चा का विषय

महाकुंभ नगरी।प्रयागराज।लगातार 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ 2025 के समापन की घोषणा कर दी गई। 13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से प्रारंभ महाकुम्भ-2025, प्रयागराज में 26 फरवरी महाशिवरात्रि की तिथि तक कुल 45 दिवसों में देश विदेश के 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया। इस दौरान 29 जनवरी मौनी अमावस्या की रात संगम क्षेत्र में भगदड़ भी मची जिसमें कई लोगों का निधन हुआ, जो काफी दुखद रहा। लेकिन प्रमुख रूप से देखने को मिला कि पूरे महाकुंभ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में लगे सुरक्षा कर्मियों के द्वारा बल प्रयोग नगण्य रहा। स्नानार्थियों, श्रद्धालुओं को पुलिस द्वारा केवल अपने बात, व्यवहार व आचरण से संतुष्ट कर पूरे मेले का सकुशल समापन कर दिया गया। जो लोगों में चर्चा का विषय बना रहा।स्थिति यह रही कि महाकुंभ में सुरक्षा के लिहाज से 50000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात रहे, जो पूरी तरह निहत्थे थे। सामान्य तौर पर कहा जाए की पुलिस की वर्दी में लाठी उनके वर्दी का अभिन्न हिस्सा होता है। लेकिन इस महाकुंभ के दौरान सभी पुलिसकर्मीयों के हाथों में लाठी या कोई दंड देखने को नहीं मिला। इतना ही नहीं कुंभ मेले में पुलिस प्रशासन के इस अनुपम प्रयोग का असर आस पास के जनपदों में भी देखने को मिला। जब प्रयागराज से जुड़े पूर्वांचल के तमाम जनपदों में भी प्रयागराज महाकुंभ की तरफ जाने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों को पुलिसकर्मियों द्वारा बड़े प्रेम से मार्गदर्शन व अन्य सहयोग किया जाता रहा।प्रशासनिक हलकों से बताया गया कि महाकुंभ प्रारंभ होने के पूर्व ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्पष्ट आदेश दे दिए गए थे कि किसी भी पुलिसकर्मी के हाथों में लाठी या डंडे नहीं रहेंगे। क्योंकि वहां जुटने वाली भीड़ अराजकों की नहीं बल्कि सनातनी श्रद्धालुओं की होगी। ऐसे में बल प्रयोग या बल प्रयोग करने जैसा प्रदर्शन कतई उचित नहीं होगा। हालांकि मेला की सुरक्षा को लेकर चाक चौबंद व्यवस्थाएं की गई थी। आधुनिक व्यवस्थाओं के तहत मेले में चप्पे छपे पर सुरक्षा कर्मियों की निगाहें बनी रही। लेकिन किसी भी पुलिसकर्मी के हाथों में लाठी का ना होना पूरे विश्व में एक उदाहरण के रूप में देखा जाने लगा। लोगों ने कहाकि विदेश में भी पुलिसकर्मियों के हाथ में लाठी या दंड होता है। लेकिन विश्व के सबसे बड़े आयोजन में इस तरह का प्रयोग काफी सराहनीय रहा।45 दिनों के महाकुंभ में 75000 से अधिक पुलिसकर्मियों/सुरक्षा कर्मियों के व्यवहार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस महाकुंभ के दौरान सुरक्षा कर्मियों से संबंधित कोई विवादित वीडियो देखने को नहीं मिला। महाकुंभ में जहां बड़ी संख्या में लोग गुणगान करते नहीं थक रहे थे। वहीं कुछ ऐसे लोगों की भी संख्या थी जो सोशल मीडिया पर तमाम निगेटिविटी भरे पोस्ट डाल रहे थे। लेकिन इन 45। दिनों में कहीं से भी पुलिसकर्मियों द्वारा यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार की कोई वीडियो सामने नहीं आई। जिसके पीछे किसी पुलिसकर्मी के हाथ में लाठी का ना होना भी इसके पीछे एक मजबूत कारण रहा है। प्रया आमतौर पर लाठियां से लोगों को आने-जाने का इशारा करना भी सोशल मीडिया पर एक गंदे कृत्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। जबकि इस बार इस तरह के वीडियो देखने को नहीं मिले हैं।निश्चित रूप से विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की सफलता में मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, गंगा दूतों, स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, नाविकों तथा महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग रहा।मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ के सुव्यवस्थित आयोजन के कर्णधार रहे महाकुम्भ मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, गंगा दूतों, स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, नाविकों तथा महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों सहित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी महानुभावों व संस्थाओं को साधुवाद दिया। उन्होंने विशेष रूप से प्रयागराज वासियों को धन्यवाद दिया, जिनके धैर्य एवं आतिथ्य सत्कार ने सबको सम्मोहित किया।

(लेखक श्री राम जयसवाल स्तंभकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त पत्रकार है।)

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