वह प्रेम का मतलब क्या जाने-जो प्यार संत से किया नहीं
जो देखा सतगुरु दया नहीं,सो प्रेम का मतलब क्या जाने

गाजीपुर।जंगीपुर क्षेत्र के जय गुरु वंदे आश्रम नगवा-चौकिया में स्वामी जय गुरु वंदे महाराज ने आस्थावान भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि इस संसार में ईश्वर की उपासना के चार कारक है रूढ़िवाद भय सुख समृद्धि लालसा प्रेम और आस्था।इन कारकों में प्रेम और आस्था भक्ति का ऐसा कारक है जो समस्त विकारों से दूर है जो कि सर्वोत्तम भी है।इन्होंने गुरु भक्ति पर भजन सुनाते हुए कहा कि-जो गुरु का भक्ति किया नहीं,सो प्रेम का मतलब क्या जाने।जो राम नाम रस पिया नहीं,वह प्रेम का मतलब क्या जाने ।
बिन भक्ति प्रेम पहेली है,कोई बुझा आवाज सुरीली है।
जो मन साहेब को दिया नहीं,वह प्रेम का मतलब क्या जाने ।
जो प्यार संत से किया नहीं,वह प्रेम का मतलब क्या जाने ।
भक्ति से प्रेम का नाता है,बन जाओ भक्त का नाता है।जो मन मंदिर में गया नहीं,सो प्रेम का नाता क्या जाने।गुरु भक्ति प्रेम का जोड़ा है,भाई संगत कभी न छोड़ा है।जो देखा सतगुरु दया नहीं, सो प्रेम का मतलब क्या जाने।जो प्रेम का अनुभव पाता है, सो भक्ति में लग जाता है।जय गुरु वंदे धन नया नहीं,सो प्रेम का मतलब क्या जाने।इस मौके पर अनिल दास जी,बैजू दास बाबा,पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत मऊ राकेश सिंह,कैलाश सिंह यादव,शिव बचन यादव,सुरेन्द्र यादव,धरनीधर तिवारी,देवेंद्र सिंह,लल्लन सिंह, शिवबचन यादव आदि सैकडों भक्त उपस्थित रहे।