गाजीपुर “ठंड से बेजुबान पशु भी बेहाल”सर्दी का सितम बढता जा रहा है
कोहरा भी पड़ने लगा है इसी के साथ उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी
गाजीपुर।ठंड से बेजुबान पशु भी बेहाल सर्दी का सितम बढता जा रहा है और कोहरा भी पड़ने लगा है इसी के साथ उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी व सर्द हवाओं का असर अब मैदानी इलाकों में भी होने लगा है कड़ाके की ठंड से खुद को सुरक्षित रखने के लिए मनुष्य को कई उपाय ढूंढ ले रहे हैं परंतु ज्यादातर पशु भगवान भरोसे ही है ब्लाक रेवतीपुर, भावरकोल, मुहम्मदाबाद से किसानो के फोन से पशुओं के ठंड से प्रभावित होने एवं मरने की सूचनायें लगातार मील रही है इस मौसम में भी पशुपालक पेड़ के नीचे पशुओं को बांध दे रहे है इससे पशु मर जा रहें हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, आँकुशपुर , गाजीपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डा. ए. के. सिंह का कहना है कि कि केंद्र पर अधिकतर पशुपालक पशुओं की ठंड लगने की शिकायत लेकर आ रहे हैं गाय भैंस और उनके नवजात बच्चे समेत बकरी और भेड़ के नवजात ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि इनके अंदर रोग एवं ठंड से बचाव के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इनकी देखभाल अच्छे से ना हो तो यह निमोनिया, डायरिया एवं हाइपोथर्मिया जैसी गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं जो इनके लिए प्राणघातक होती है उन्होंने बताया कि इस मौसम में पशुओं के शरीर से थायरोक्सिन हार्मोन का अधिक स्राव होता है इससे पशु के शरीर में मेटाबॉलिज्म बढ़ जाता है और ऊर्जा का ह्रास तेजी से होता है जिससे पशु ठंड से प्रभावित हो जाता है एवं प्रभावित पशु चिल्लानें एवं कांपने लगता है पशु का कान नाक अंडकोष बर्फ के समान ठंडा हो जाता है, हृदय गति कम हो जाती है, इसके अलावा दूसरे लक्षण में पशुओं की नाक एवं आंख से पानी गिरने लगता है और उसके बाल खड़े हो जाते हैं एवं पशु कंपकंपाने लगता है अगर समय से इलाज ना मिले तो वह अचेत होकर मर भी सकता है पशुओं को ठंड से बचाने के विषय में डॉक्टर सिंह का कहना है की उपरोक्त लक्षण दिखे तो सबसे पहले अलाव जलाकर उनको गर्मी देने का प्रयास करना चाहिए एवं साथ में अजवाइन का धुआं दे और पीने लायक गरम पानी पशुओं तुरन्त पिलायें साथ ही गरम कड़ुवा तेल से पशुओं के शरीर की मालिश करें जो बेहद फायदेमंद होता है उन्होंने बताया कि यह प्राथमिक चिकित्सा है इस दौरान पशु की स्थिति में सुधार न हो तो देर नहीं करनी चाहिए नजदीक के पशु चिकित्सक से संपर्क कर इलाज शुरू करना चाहिए।उन्होंने पशुओं के चारे दाने पर भी जोर देते हुए कहा कि पशुओं के आहार में सूखे एवं हरे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में दाना मिश्रण जीसमें आनाज, तिलहन खली, गेहूं का चोकर, दाल की चुन्नी, कैल्सियम खड़िया नमक आदि का समावेश होना चाहिए जिससे पशुओं को शरीर गरम रखने में सहायता मिलती है और उसके अंदर ठंड से बचाव की क्षमता भी बढ़ जाती हैं जाड़े में पशुओं को कुल दाने की आवश्यकता से अलग 1.0 किलोग्राम अतिरिक्त दाना मिश्रण देना चाहिए क्योंकि बाहर ठंड की वजह से पशुओं के शरीर से ऊर्जा का ह्रास निरंतर होता रहता है इसलिए शरीर को गरम रखने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो निरंतर उसके शरीर से निकलती रहती हैं। पशुओं को शाम 5:00 बजे के बाद बाड़े के अंदर बांधना चाहिए जिसका दरवाजा एवं खिड़किया बंद रहनी चाहिए रोशनदान खुला रखे जीससे हवा अदान प्रदान होती रहें और बांधने से पूर्व चुल्हे की गरम राख या गन्ने की खोई की झाड़न को बाड़े मे बिछावन के रूप में फैलाना चाहियें तथा बाड़े के कोने में एक दो घंटे अलाव जला दें जिससे कि उनका बाड़ा गरम हो जाए। सुबह चरही पर पशुओं को खिलाने के लिए बांधे तो उनके शरीर को बोरा से ढक देना चाहिए इससे पशुओं का ठंड से बचाव हो जाएगा ।