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‌कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव द्वारा पोषण पखवाड़े का आयोजन

कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव द्वारा पोषण पखवाड़े का आयोजन

बलिया।भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे सातवें संस्करण दिनांक 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक के पोषण पखवाड़े का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र सोहाँव बलिया द्वारा क्षेत्र के विभिन्न ग्रामो में किया गया जिसके दौरान क्षेत्र में कृषक,गर्भवती महिलाएं, किशोर युतियां एवं किसानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लियाl पोषण पखवाड़े के अंतिम दिन 22 अप्रैल को केंद्र पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने किसानों को बताया गया कि इस पोषण पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य किसानों में अल्प पोषण, छोटे-छोटे बच्चों में, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी युवतियों में रक्ताल्पता (खून की कमी) एवं नवजात बच्चों का सामान्य से कम वजन के होने की समस्या की जागरूकता के लिए यह पखवाड़ा भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है, जिसके लिए किसानों को समय के अनुसार मौसमी फल एवं सब्जियों का प्रयोग करने के साथ -साथ दूध, दही, पनीर, ड्राई फ्रूट तथा विटामिन एवं मिनरल्स से भरपूर पदार्थ को भोजन में शामिल करने को बताया l केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ अवधेश कुमार ने बताया कि जब बच्चा मां के गर्भ में आता है और उसके बाद पैदा होने के 2 वर्ष तक मतलब कि 1000 दिन तक बिशेषकर बच्चों को संतुलित पोषण की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है lऔर आगे बताते हुए कहा कि गर्भवती महिलाओं को 6 पदार्थ बहुत ही जरूर लेना चाहिए जिसमें पालक खाने से बच्चे को विटामिन ए और फोलिक एसिड की भरपूर मात्रा मिलती है जिससे बच्चे के मस्तिष्क का विकास एवं रीढ की हड्डियों को बनने में बहुत ही मदद करता हैl दूसरा बादाम खाने से विटामिन ए, ओमेगा-3, और फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर के ऊतकों में निर्माण करता है, तीसरा दही को अपने खान पान का हिस्सा बनाइये दही खाने से गर्भ में पल रहे बच्चे एवं मानव जीवन के स्वास्थ्य को अच्छा रखता है तथा कैल्शियम की पूर्ति भी करता है, चौथा चुकंदर को खाने से गर्भवती महिला को आयरन भरपूर मात्रा में मिलता है जो शिशु के नर्वस सिस्टम के निर्माण में मदद मिलती है, पांचवा कद्दू के बीज को खाने से जिंक, मैग्नीशियम, आयरन, ओमेगा-3 एवं फैटी एसिड जैसे महत्त्वपूर्ण पदार्थ बच्चों एवं किसानो को मिलते हैं जो उनमे रोग प्रतिरोधक क्षमता, दिमाग़ एवं आंख के विकास में मदत करता है, छठवा मौसमी दाल खाने से उसमें प्रोटीन की मात्रा भरपूर पाई जाती है जिससे मनुष्य स्वस्थ रहता है, गाजर खीरा एवं टमाटर खाने से फास्फोरस भरपूर मात्रा में मिलता है जो सक्रिय ऊतकों एवं कोशिकाओं के गुणांक के लिए अनिवार्य है,l प्याज एवं भिंडी खाने से आयोडीन पर्याप्त मात्रा में मिलती है जो बच्चों में गला फूलने की बीमारी से छुटकारा देती है, विटामिन-सी, सब्जियां एवं अवंला में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो निरोग एवं स्वास्थ्य रहने के साथ साथ रक्त संचार और जोड़ों को ठीक रखने में मदद करता हैl केंद्र के वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार के द्वारा बताया गया कि कुपोषित, गर्भवती महिला, बच्चे एवं पुरुषों के लिए सहजन आवंला,अमरुद, पका आम, पका पपीता एवं करी पत्ता आदि, तथा पौष्टिक पूरक आहार जैसे आंगनबाड़ी केन्द्रो से प्राप्त दलिया को अपने भोजन में शामिल करने पर बल दिया।डॉ अभिषेक कुमार यादव के द्वारा बताया गया कि सामुदायिक आधारित गतिविधियों के दौरान बच्चों में कुपोषण की रोकथाम हेतु बच्चों को संतुलित आहार देना, जंक फूड वर्जन एवं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मीठे पेय पदार्थ पर रोक तथा बच्चों को मोबाइल एवं टेलीविजन के स्क्रीन टाइम को कम करके बाहरी खेलकूद को बढ़ावा देकर एवं बच्चों के स्कूल जाते समय स्वास्थ्य लंच बॉक्स देने को प्रेरित किया।डॉ अनिल कुमार पाल के द्वारा किसानों को बताया गया कि संतुलित आहार में सब्जिया एक महत्वपूर्ण योगदान देती हैं मांस,पनीर और अन्य वसीए पदार्थ की पाचन क्रिया से निर्मित अम्लीय पदार्थ को निशप्रभावी करने हेतु सब्जियों का उपयोग अनिवार्य हैl इसके अलावा सब्जियां पाचन क्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, मौसमी सब्जियों के प्रयोग से प्रोटीन,वसा, कार्बोहाइड्रेट एवं विटामिन की आपूर्ति भी हो जाती हैं जिसके उपभोग से बच्चों एवं किसानों में बढ़ोतरी,प्रजनन और स्वास्थ्य अनुरक्षण के विभिन्न प्रकार के रसायनों की उपलब्धि भी होती है।

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