देवता चाहकर भी मनुष्य नहीं बन सकते लेकिन मनुष्य चाहकर देवता बन सकता है
जिन लोगों के जीवन में सत्संग होता है, वह किसी भी कार्य को सिद्ध कर सकते हैं
मरदह गाजीपुर।पांचवें दिन पंडित सुभाषनंद जी महाराज ने जागोपुर गांव में कहां कि जिन लोगों के जीवन में सत्संग होता है, वह किसी भी कार्य को सिद्ध कर सकते हैं।भागवत कथा का श्रवण मानव जीवन को संवारने का सर्वोत्तम साधन है। भागवत कथा सुनने से जीवन के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।देवता चाहकर भी मनुष्य नहीं बन सकते लेकिन मनुष्य चाहकर देवता बन सकता है।अर्थ यह है कि मानव जीवन में परमात्मा ने इतनी अद्भुत क्षमताएं दी हैं कि वह अपनी इच्छाओं व कर्मों से स्वयं को ईश्वर के करीब ले जा सकता है। आगे कहा कि धर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन में सभी सिद्धियां व मोक्ष की प्राप्ति संभव है। धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ से नहीं , बल्कि यह अपने जीवन में सत्य, करुणा व सेवा जैसे गुणों को अपनाने से है। दूसरों की मदद व भलाई में जो सुख और संतोष है, वह किसी अन्य में नहीं है।मनुष्य का परमेश्वर के साथ नित्य स्वामी-सेवक का संबंध है। भक्ति के मार्ग पर चल कर ही परमेश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। जो परमेश्वर को प्राप्त कर लेगा वह जन्म-मरण के चक्र मुक्त हो जाएगा और भगवान के धाम को प्राप्त करेगा।उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की लीला का भी बहुत सुंदर वर्णन किया।इस दौरान कृष्ण जन्मोत्सव भी धूमधाम से झांकी के रूप में सम्पन्न हुआ।इस मौके पर रामानंद यादव,रामवृक्ष यादव,रामकिशुन यादव,राधेश्याम यादव, जयराम यादव,विनोद यादव,हरेराम यादव,गोरखनाथ यादव आदि मौजूद रहे।