वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार रामावतार जी का निधन
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार रामावतार जी का निधन
गाजीपुर।दुख:द समाचार-वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार रामावतार जी के निधन की सूचना प्राप्त हुई है।हिन्दी के जाने-माने वरिष्ट साहित्यकार एवं पत्रकार रामावतार जी का निधन दिनांक 26 नवम्बर को मध्य रात्रि में हृदय-गति रूक जाने से हो गया। ये लगभग 85 वर्ष के थे।यह जानकारी शशीकांत शर्मा के द्वारा दी गई।गाजीपुर।गुलाब राय साहित्य पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार, मूर्धन्य साहित्यकार सहित “विश्वकर्मा चरित मानस” जैसे काव्य के रचयिता रामावतार जी का आज मध्य रात्रि निधन हो गया। 85 वर्षीय रामावतार जी का गत रात्रि वाराणसी से एक निमंत्रण से लौटने के पश्चात शयन के लिए सुखदेवपुर निवास के प्रथम मंजिल स्थित कक्ष की सिढीयो पर चढ़ते समय सांस उभरने लगी थी , जिससे तबियत बिगड़ने लगी परिजन उनको लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे जहां उनका मध्य रात्रि निधन हो गया।
रामावतार जी के साहित्य में 18 से ज्यादा उपन्यास, अनेकों साहित्यकारों एवं समाजसेवीयों के साक्षात्कार, लगभग 5 कहानी संग्रह सहित तीन दर्जन से ज्यादा साहित्यों के सृजनकर्ता रामावतार जी का जन्म 1 सितंबर 1941 मे गाजीपुर घाट के नजदीक सुखदेवपुर मे हुआ था।सिटी स्कूल से हाई स्कूल, इंटर की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई उन्होंने तत्कालीन इलाहाबाद और अब के प्रयागराज विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। रामावतार जी काम के सिलसिले में लखनऊ और कोलकाता जैसे शहरों में गये लेकिन दिल्ली में टिक कर उन्होंने 1973 से 1984 तक “जनयुग” मे उप सम्पादक के दायित्व का सफल निर्वहन किया। दिल्ली में प्राख्यात उपन्यासकार जैनेन्द्र कुमार से हुई मुलाकात की प्रेरणा से पत्रकारिता से साहित्य की ओर रूझान बढ़ गया और दिल्ली मे ही दो उपन्यास को उन्होंने लिखा जो पूर्वोदय प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित भी हुए। रामावतार जी 1971 मे ज्ञानेंद्र जी की वैचारिक पाक्षिक पत्रिका “कल्प” का सम्पादन भी उन्होंने किया।और 1984 मे “जनयुग” से त्यागपत्र दे कर गाजीपुर आ गये जहां उन्होंने साहित्य सृजन के साथ साथ “गाजीपुर टाइम्स” नाम से 2007 तक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन और सम्पादन किया।”वेद और हमारा जीवन” के लेखन पर उ प्र हिन्दी संस्थान द्वारा गुलाब राय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पत्रकारिता और साहित्य सृजन को अपने जीवन का अभीष्ट मानकर सतत लेखन में संलग्न राम अवतार जी साहित्यिक दृष्टि से मूलतः कथाकार थे ये सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याओं को केंद्र में रखकर साहित्य सृजन करने में दक्ष थे। उनकी भाषा सरल और बोधगम्य थी किंतु भावो में कमाल की गहराई है। पहचान की दृष्टि से यह कवि तो नहीं है किंतु चौथेपन में आकर विश्वकर्मा चरित् मानस लिखकर इन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि यदि यह कविता लिखते तो अच्छे कवि भी होते।
इस दुःखद निधन पर भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह एवं जिला मीडिया प्रभारी शशिकान्त शर्मा ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रोहिणी कुमार मुन्ना के नेतृत्व में गठित सामाजिक संस्था “विश्वकर्मा समाज” के आजीवन जिला महामंत्री साहित्य के गौरव रामावतार जी का निधन समाज एवं साहित्य जगत की अपुर्णीय क्षति है।