साधु संतों की संगत से ही हमारे जीवन में नया संचार होता:महाराज सुभाषनंद
जगत के सारे सहारे झूठे है केवल भगवान का नाम ही सच्चा सहारा
मरदह गाजीपुर।क्षेत्र के जागोपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा में दूसरे दिन प्रवचन करते हुए पंडित सुभाषनंद शास्त्री जी महाराज ने कथा वर्णन में कहा कि साधु संतों की संगत से ही हमारे जीवन में नया संचार होता है।हमारा भी कर्तव्य बनता है कि साधु संतों के बताए रास्ते पर चलें।जगत के सारे सहारे झूठे है केवल भगवान का नाम ही सच्चा सहारा है।श्रीमद्भागवत कथा का रस बार-बार पीना चाहिए।वहीं सभी ग्रंथों का सार श्रीमद्भागवत में ही है।जिनके पास भगवान होते हैं उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।जिसके सारथी खुद भगवान हो उनका रथ डगमागा ही नहीं सकता।उन्होंने कहा कि हमें सभी ग्रंथ पढ़ने चाहिए।काम,क्रोध,मद और लोभ ये हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं,हमें इनसे बचना चाहिए।हमें बड़े भाग्य से मानव शरीर मिला है,वहीं सबसे बड़ा शौभाग्य है कि भारत जैसे पवित्र देश में और सनातन धर्म में हमारा जन्म हुआ है और हम श्रीमद्भागवत की कथा सुन रहे हैं।बताया कि श्रीमद् भागवत गीता जी का पहला श्लोक जन्म शब्द से शुरू होता है और अंतिम शब्द हरि सत्य है।उन्होंने बताया कि मानव जीवन का जन्म हरि के सुमरन के साथ अपने सभी कर्तव्य निभाते हुए अंत समय में हरि चरणों में लीन होना है।इस मौके पर रामनारायण, रामगोपाल,विनोद,जयराम यादव, राजीव यादव,वकील यादव,जवाहर मद्धेशिया,गोरख यादव, सुड्डू यादव,त्रिलोकी यादव, स्वामीनाथ हरिनाथ,रमेश,राजेश, संतोष,संदीप,सोनू,प्रदीप यादव, विशाल,गोलू,अनमोल,दीपक आदि मौजूद रहे।