ग़ाज़ीपुर

‌ज़ुल्म के खिलाफ जीवनभर चलती रही विधार्थी की लेखनी:प्रेमकुमार 

पत्रकारिता के पितामह थे विधार्थी जी:अरूण कुमार 

ज़ुल्म के खिलाफ जीवनभर चलती रही विधार्थी की लेखनी:प्रेमकुमार।पत्रकारिता के पितामह थे विधार्थी जी:अरूण कुमार।गाजीपुर।अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में महान क्रांतिकारी,निडर और निष्पक्ष पत्रकार और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जयंती पर महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में महासभा के संगठन मंत्री अजय कुमार श्रीवास्तव के आवास पर माल्यार्पण कार्यक्रम,विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।गोष्ठी आरंभ होने के पूर्व महासभा के सभी कार्यकर्ताओं ने विधार्थी जी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए देश की एकता और अखंडता तथा आजादी की रक्षा,करने का संकल्प लिया।इस अवसर पर सिविल बार संघ का अध्यक्ष चुनें जाने पर गोपाल जी श्रीवास्तव को,राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के चौथी बार जिलाध्यक्ष चुने जाने पर दुर्गेश श्रीवास्तव को,पत्रकारिता के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिन्हा को,नार्थ इंडिया बांडी बिल्डर प्रतियोगिता में छठी स्थान प्राप्त करने पर अनिल श्रीवास्तव को और ताइक्वान्डो खेल मे ब्लैक बेल्ट प्राप्त करने पर प्रांजलि सहाय के साथ-साथ पिछले वर्ष भगवान श्री चित्रगुप्त जी की झांकी मे सराहनीय योगदान करने वाले बच्चों को जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव और महामंत्री अरूण सहाय ने माल्यार्पण कर,अंगम्वस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया और उनकी हौंसला अफजाई की।महासभा के संरक्षक प्रेमकुमार श्रीवास्तव  ने गणेश शंकर विद्यार्थी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह एक महान क्रांतिकारी,निडर और निष्पक्ष पत्रकार,समाजसेवी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में उनका नाम अजर-अमर है।वह एक ऐसे पत्रकार थे जिन्होंने अपनी लेखनी की ताकत से भारत में अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी।इस महान स्वतंत्रता सेनानी ने अपनी कलम और वाणी के साथ साथ महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों और क्रान्तिकारियों को समान रूप से समर्थन और सहयोग दिया ।अन्याय और जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करना ही उनके जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य था।उनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है।इस विचार गोष्ठी में जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ने उन्हें पत्रकारिता का पितामह बताते हुए कहा कि वह न सिर्फ महान स्वातंत्र्य वीर थे बल्कि वह ईमानदारी, त्याग और बलिदान की मिसाल थे।अंग्रेज अधिकारियों और जमींदारों की निरंकुशता,शोषण एवं दमनकारी नीतियों के विरुद्ध उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से लगातार जनजागरण करते रहे।इतना ही नहीं वह निर्धनों,किसानों व मजदूरों की समस्याओं को उजागर करने तथा सामाजिक जड़ताओं,अंध परम्पराओं एवं कुरीतियों के विरुद्ध भी समाज में अलख जगाते रहे।इस विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से विपिन श्रीवास्तव डब्बू,परमानन्द श्रीवास्तव, चन्द्रप्रकाश श्रीवास्तव,शैल श्रीवास्तव,मोहनलाल श्रीवास्तव, अजय कुमार श्रीवास्तव,मनीष कुमार श्रीवास्तव,विपुल श्रीवास्तव,गौरव श्रीवास्तव,अनिल स्वामी,शैलेन्द्र श्रीवास्तव, कमल श्रीवास्तव एडवोकेट,संदीप वर्मा,शिवम् श्रीवास्तव,बीट्टू ,मोनू आदि उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button