ग़ाज़ीपुर

समाज को दिशा देने वाले पत्रकार खुद ही दिशा विहिन हो उठे,दूसरे के कंधे का सहारा लें लूट रहे अस्मत

भ्रष्टाचार को दूर करने की कसम खाने वाले खुद भ्रष्ट्राचारियों की लिस्ट में शामिल

गाजीपुर।समाज को दिशा देने वाले पत्रकार खुद ही दिशा विहिन हो रहे।पत्रकारिता के पराकाष्ठा को धूमिल करते हुए पत्रकार बनकर और बनाकर खूब वाहवाही बटोरते हुए लूट खसोट कर रहे हैं।पत्रकारिता के आड़ में आम जन मानस को बरगलाकर लोगों को दिनदहाड़े लूट रहे है।जनपद में सात तहसील जिसमें गाजीपुर सदर,मोहम्मदाबाद,कासीमाबाद, जखनियां,जमानियां,सेवराई,सैदपुर में पत्रकारों की बाड़ आ गई है।जिससे मानो स्वर्ग लोग से भगवान धरती पर पधार चुके हैं।इनकी संख्या कम से कम 300 से अधिक होगी जो भगवान बनके भक्तों को भक्ति का पाठ पढ़ाकर चौथे स्तंभ को बदनामी का धब्बा लगाते फिर रहे।भोले-भाले लोग इन तथाकथित पत्रकारों के झांसे में आकर इनको पैसे दे देते हैं।अपने को तथाकथित पत्रकार कहने वाले ऐसे लोगों की वजह से वास्तविक पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की छवि समाज में धूमिल हो रही है।जनपद के वरिष्ठ पत्रकारों ने जिलाधिकारी से निवेदन किया‌ है कि समस्त विभागों के अधिकारियों को सूचित कर दिया जाए कि किसी प्रकार की वसूली या जबरन पैसा वसूलते हैं तो उनके खिलाफ आप कार्रवाई सुनिश्चित करें।लेकिन अब सवाल यह है कि जनपद में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे तथाकथित पत्रकारों पर कैसे लगेगी लगाम।एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि इन पर तभी रोक लग पाएगी जब यह सूचना विभाग से सूचिबद्ध होगे।कौन पत्रकार किस संस्थान से जुड़ा है,किसी को मालूम चलना चाहिए,साथ ही साथ कार्यक्षेत्र भी प्रतिबंधित हो।जिसकी सूचि हर विभाग में रहें।वर्तमान में समय पत्रकार तो शायद कम है,पर संपादक,ब्यूरो चीफ ज्यादा हो चुके हैं।जो शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में आंतक का पर्याय बन चुके हैं।जिन्हें पत्रकारिता का अर्थ नही पता व वरिष्ठ पत्रकार,ब्यूरो चीफ,संपादक बनकर घुम रहे हैं।ऐसे लोगों पर तत्काल लगाम लगाने की आवश्यकता है।तब जाकर पत्राकारों की अस्मिता‌ व साख बची रहेगी।

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