राष्ट्रीय

‌चुनाव आते ही “चीनी मिल”की याद सताती है, 26 वर्षो से बंद पड़ी नंदगंज कि चीनी मिल

सन् 1991 में एक लाख बोरी चीनी का रिकार्ड तोड़ हुआ था उत्पादन

अच्छा उत्पादन होने के बाद भी आखिर क्यूं बंद हो गई चीनी मिल
रिपोर्ट- (आबिद शमीम)नंदगंज गाजीपुर।पटेल आयोग की संस्तुति पर सन् 1975 में स्थापित की गई नंदगंज की चीनी मिल लगभग 26 वर्षो में ही सियासत की भेंट चढ़ गई।कुप्रबंधन और तत्कालीन सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के चलते चीनी मिल को बंद करके मिल श्रमिकों को 1999 में जबरन वीआरएस दे दिया गया।लेकिन अभी तक श्रमिकों को फंड और अन्य बकाया नहीं मिला।मिल को चालू करने के कई प्रयास किए गए लेकिन राजनीति के सुरमाओं की उदासीनता के चलते मिल को अभी तक चालू नहीं कराया गया।सबसे गम और अफसोस की बात तो यह है कि लोकसभा चुनाव में नंदगंज की चीनी मिल को पुन:चालू कराने के लिए किसी भी दल ने मतदाताओं से कोई वादा नहीं किया।पूर्वांचल में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पटेल आयोग की संस्तुति पर जिले के नंदगंज के पास सिहोरी गांव में चीनी मिल की नींव वर्ष 1975 में डाली थी चीनी मिल कि नीव पड़ने से किसानों और क्षेत्र के लोगो में खुश हो गए थे उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने सन् 1978 में मिल के तैयार होने पर इसका विधिवत उद्घाटन भी किया था।उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि चीनी मिल के खुलने से जिले में बेरोजगारी काफी हद तक दूर होगी।किसानों को गन्ने का मूल्य बेहतर मिलेगा।मिल चालू होने के बाद जिले के किसानों ने 10 हजार से अधिक हेक्टेयर में गन्ना की खेती करना शुरू कर दिया।क्षेत्र के आसपास सहित जिले के अन्य हिस्सों में गन्ना की खेती होने लगी।शुरूआती दौर में मिल में करीब 1200 मजदूरों को रखा गया।मिल के चलने से जिले के लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने लगा।इस मिल से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व भी प्राप्त होता था। यह मिल सन् 1990 तक काफी लाभ में रही।तत्कालीन निदेशक तारक नाथ कौशिक के कार्यकाल में मिल ने रिकार्ड तोड़ चीनी का उत्पादन किया।उस समय करीब एक लाख बोरी चीनी का उत्पादन किया गया था।कुप्रबंधक और लूट खसोट के चलते यह मिल 1991 से घाटे में जाने लगी। इसके बाद मिल पर करोड़ों रुपये की देनदारी हो गई।किसी तरह 1999 तक मिल को चलाया गया।जब घाटा अधिक बढ़ा तो मिल को बंद करके सभी श्रमिकों को जबरन वीआरएस थमा दिया गया।इसका मिल श्रमिकों ने विरोध भी किया लेकिन सरकार मिल श्रमिकों के आगे नहीं झुकी। श्रमिकों की मांग थी कि मिल को पुन: पूरी क्षमता के साथ चलाया जाए और श्रमिकों का करोड़ों रुपया फंड सहित अन्य बकाया दिया जाए।देखा जाए तो यह मिल पूर्वांचल की बदहाली पर पटेल आयोग की तरफ से केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर स्थापित की गई थी लेकिन मिल सियासत के फेरे में इस कदर फंसी की 26 वर्षो बाद भी मिल को पुन: चालू कराने का किसी भी सत्ताधारी दल ने प्रयास नहीं किया।कुछ लोगो के नेतृत्व में आंदोलन भी हुआ लेकिन शासन ने सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया। यही वजह रही कि इस समय जिले में गन्ना का रकबा सिमट कर कम हो गया है।इस संबंध में जब केन स्पेक्टर  मुकेश कुमार सिंह उर्फ पिंटू से बात की गई तो उन्होंने ने
कहा कि बड़े-बड़े पार्टी के लोग प्रचार करने जिले में आए वोट लेने के लिए हर बात याद है पर किसी को बंद पड़ी चीनी मिल खुलवाने कि बात करना गवारा नहीं समझा।
बरहपुर गांव के शिवप्रसाद सिंह,पवन सिंह,मोहम्मद खालिक,‌रविन्द्र कुमार जायसवाल,संतोष जायसवाल,अजय सिंह,बिकी वर्मा,समाजसेवी संदीप यादव,बबलू यादव का कहना है कि चीनी मिल बंद होने से जिले का विकास थम गया है और लोग बेरोज़गार हो गए सभी चुनावों में चीनी मिल को चालू करने का कोरा आश्वासन मिलता था पर अब तो ये भी नही हो रहा है।आने वाले चुनाव में चीनी मिल खुलवाने का वादा कर भी देंगे तो कोई फायदा नही क्यों की चुनाव बाद सब नेता भूल जाते हैं कही जनता से कुछ वादा भी किया था सबसे‌ ज्यादा अफसोस की बात ये है कि अब नेता लोग आश्वासन भी नहीं दे रहे हैं एक तरह से आश्वासन नहीं देना भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं क्यो कि विधायक, सांसद,या सरकार किसी की भी रही हो बंद चीनी मिल को किसी ने चालू करना उचित नहीं समझा जिस वजह से यहा के लोग और भी बेकार और बेरोज़गार हो गए।व्यापारी शिवकुमार वर्मा,श्यामसुंदर जायसवाल,नवीन जायसवाल, किसानों रविउल्लाह जलाली,इमरान रवि,अब्दुल्ला,पवन गुप्ता,विजय गुप्ता का कहना है कि चीनी मिल बंद होने से जिले के व्यापार में भी काफी कमी आई है चीनी मिल जब चलती थी तो लाखो का बाजार का कारोबार होता था चीनी मिल से छोटे-छोटे लोग जुड़े होने के वजह से उनका घर परिवार चलता था पर चीनी मिल बंद हो जाने से जहां किसानों को नुकसान हुआ वही बाजार और आस-पास के व्यापारियों का कारोबार भी कम हुआ।चीनी मिल अब चालू होगी या इस पर अब सिर्फ राजनीत होगी।बरहपुर ग्राम सभा और उसके आस-पास के आने वाले गांव के किसानों और व्यापारियों के लोगो के लिए चीनी मिल चालू होने कि उम्मीद अब टूटने लगी है।लोगो ने कहा कि किसी कि भी सरकार रही हो किसी जनप्रतिनिधि ने चीनी मिल को चालू करवाने में पहल नहीं की अब चुनाव आने वाला है हो सकता चुनाव जीतने के लिए नेता जनता से झूठा वादा करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button