राष्ट्रीय
चुनाव आते ही “चीनी मिल”की याद सताती है, 26 वर्षो से बंद पड़ी नंदगंज कि चीनी मिल
सन् 1991 में एक लाख बोरी चीनी का रिकार्ड तोड़ हुआ था उत्पादन
अच्छा उत्पादन होने के बाद भी आखिर क्यूं बंद हो गई चीनी मिल
कहा कि बड़े-बड़े पार्टी के लोग प्रचार करने जिले में आए वोट लेने के लिए हर बात याद है पर किसी को बंद पड़ी चीनी मिल खुलवाने कि बात करना गवारा नहीं समझा।
बरहपुर गांव के शिवप्रसाद सिंह,पवन सिंह,मोहम्मद खालिक,रविन्द्र कुमार जायसवाल,संतोष जायसवाल,अजय सिंह,बिकी वर्मा,समाजसेवी संदीप यादव,बबलू यादव का कहना है कि चीनी मिल बंद होने से जिले का विकास थम गया है और लोग बेरोज़गार हो गए सभी चुनावों में चीनी मिल को चालू करने का कोरा आश्वासन मिलता था पर अब तो ये भी नही हो रहा है।आने वाले चुनाव में चीनी मिल खुलवाने का वादा कर भी देंगे तो कोई फायदा नही क्यों की चुनाव बाद सब नेता भूल जाते हैं कही जनता से कुछ वादा भी किया था सबसे ज्यादा अफसोस की बात ये है कि अब नेता लोग आश्वासन भी नहीं दे रहे हैं एक तरह से आश्वासन नहीं देना भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं क्यो कि विधायक, सांसद,या सरकार किसी की भी रही हो बंद चीनी मिल को किसी ने चालू करना उचित नहीं समझा जिस वजह से यहा के लोग और भी बेकार और बेरोज़गार हो गए।व्यापारी शिवकुमार वर्मा,श्यामसुंदर जायसवाल,नवीन जायसवाल, किसानों रविउल्लाह जलाली,इमरान रवि,अब्दुल्ला,पवन गुप्ता,विजय गुप्ता का कहना है कि चीनी मिल बंद होने से जिले के व्यापार में भी काफी कमी आई है चीनी मिल जब चलती थी तो लाखो का बाजार का कारोबार होता था चीनी मिल से छोटे-छोटे लोग जुड़े होने के वजह से उनका घर परिवार चलता था पर चीनी मिल बंद हो जाने से जहां किसानों को नुकसान हुआ वही बाजार और आस-पास के व्यापारियों का कारोबार भी कम हुआ।चीनी मिल अब चालू होगी या इस पर अब सिर्फ राजनीत होगी।बरहपुर ग्राम सभा और उसके आस-पास के आने वाले गांव के किसानों और व्यापारियों के लोगो के लिए चीनी मिल चालू होने कि उम्मीद अब टूटने लगी है।लोगो ने कहा कि किसी कि भी सरकार रही हो किसी जनप्रतिनिधि ने चीनी मिल को चालू करवाने में पहल नहीं की अब चुनाव आने वाला है हो सकता चुनाव जीतने के लिए नेता जनता से झूठा वादा करें।