पूर्वांचल

‌पूर्व विधायक बैजनाथ पासवान के ख़िलाफ़ दर्ज होगा धोखाधड़ी का मुक़दमा

‌पूर्व विधायक बैजनाथ पासवान के ख़िलाफ़ दर्ज होगा धोखाधड़ी का मुक़दमा

मऊ।नेताओं के भी अपने अलग-अलग शौक होते हैं जनप्रतिनिधि बनने के लिए वह किसी भी हद तक गिर जाने को तैयार हैं भले ही बाद में उनको अपने इस कृत्य से कितनी भी फजीहत क्यों न झेलनी पड़े। न्यायालय विशेष न्यायाधीश एमपी/ एमएलए अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी द्वितीय, एचजेएस राजीव कुमार वत्स जनपद मऊ ने फौजदारी निगरानी संख्या 137/2022 निगरानी कर्ता विनय कुमार गुलौरी थाना हलधरपुर जनपद मऊ का याचिका स्वीकार कर पूर्व विधायक बैजनाथ पासवान की मुश्किलें बढ़ा दी है। मऊ जिले के मुहम्मदाबाद गोहना विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है उक्त विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी से बैजनाथ पासवान फरवरी सन 2002 में 14वीं विधानसभा के लिए पहली बार सदस्य विधायक निर्वाचित हुए थे। विधानसभा चुनाव के नामांकन में उन्होंने अपनी जन्मतिथि 03-04-1957 भरी है तथा गलत कूट रचित तथा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दाखिल करके चुनाव जीते थे। जबकि बैजनाथ पासवान ने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश सर्वोदय इंटर कॉलेज अनूपपुर खेताबपुर जनपद गाजीपुर से सन 2005 में कक्षा दसवीं परीक्षा पास किया जिसका अनुक्रमांक 2531616 है। उक्त अंक पत्र में उनकी जन्मतिथि 02-07-1987 अंकित है। तथा वे रेगुलर विद्यार्थी के रूप में पास किए हैं। जब पहली बार 14वीं विधानसभा के लिए सदस्य बने तो उस समय कक्षा दसवीं पास के अनुसार उनकी उम्र मात्र 14 वर्ष 7 माह 26 दिन होती है। ऐसी स्थिति में बैजनाथ पासवान द्वारा फर्जी एवं कूटरचित जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर निर्वाचित हुए थे।

इस प्रकार बैजनाथ पासवान ने छल कपट धोखाधड़ी कूट रचित प्रमाण पत्र कूट रचना एवं जाली फर्जी दस्तावेज के आधार पर चुनाव लड़े। घटना की लिखित सूचना वादी ने थाने पर ऑनलाइन दी थी, किंतु रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई। प्रार्थी विनय कुमार ने बताया कि घटना की सूचना पुलिस अधीक्षक मऊ जिला अधिकारी मऊ को भी दी गई थी। परंतु वहां से भी कोई कार्रवाई न होने के पर निगरानी कर्ता/प्रार्थी ने विद्वान विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए अपर मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट जनपद मऊ के न्यायालय में धारा 156(3) द.प्र.स. के अंतर्गत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। न्यायालय द्वारा प्रार्थना पत्र अंतर्गत 156(3) द.प्र.स को आक्षेपित आदेश दिनांकित 13.5.2022 द्वारा निरस्त कर दिया गया, जिसके विरुद्ध निगरानी कर्ता/प्रार्थी द्वारा यह निगरानी आयोजित की गई है।
अदालत ने पैराग्राफ तीन में कहा है कि उपयुक्त आदेश दिनांक 13.5.2022 के विरुद्ध प्रस्तुत निगरानी में आधार लिया गया है कि विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश विधि एवं प्रतिपादित सिद्धांतों के प्रतिकूल है। विद्वान विचारण न्यायालय ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों, सबूतों, परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता पर सम्यक परिशीलन एवं अवलोकन नहीं किया है। प्रार्थना पत्र से ही प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध प्रकट होता है। विद्वान विचारण न्यायालय के समक्ष यह तथ्य संज्ञान में लाया गया था कि अभियुक्त अपनी वास्तविक जन्मतिथि 02-07-1987 को छिपा कर कूट रचित, जाली एवं फर्जी जन्म प्रमाण पत्र में अपनी जन्मतिथि 03-04-1957 अंकित करा कर 14वीं विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुआ, जो गंभीर प्रकृति का सामाजिक एवं संज्ञेय अपराध है। प्रकरण राज्य एवं समाज के प्रति अपराध से संबंधित है। दंड प्रक्रिया संहिता में संज्ञान लेने हेतु जो समय सीमा बताया गया है वह धारा 156(3) द.प्र.स. के प्रार्थना पत्र पर लागू नहीं है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ललिता कुमारी में प्रतिपादित सिद्धांत का अनुसरण नहीं किया गया है। उपयुक्त तथ्यों/ तर्कों के आधार पर निगरानी कर्ता की ओर से निगरानी स्वीकार कर उपयुक्त मामले में विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकित 13.5.2022 को अपास्त किए जाने की प्रार्थना की गयी।
विशेष न्यायाधीश एमपी/ एमएलए अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी दो राजीव कुमार वत्स ने अपने आदेश में कहा कि फौजदारी निगरानी संख्या 137/ 2022 विनय कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य को स्वीकार किया जाता है। विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकित 13.5.2022 को अपास्त किया जाता है। विद्वान विचारण न्यायालय प्रस्तुति निगरानी में की गई विवेचना को दृष्टिगत रखते हुए पुन: सुनवाई का अवसर देकर विधिसम्मत आदेश पारित करें। विद्वान विचारण न्यायालय की तलबशुदा पत्रावली इस निर्णय के प्रति के साथ नियमानुसार अविलंब वापस प्रेषित की जाए। निगरानी पत्रावली बाद आवश्यक कार्रवाई नियमा अनुसार दाखिल दफ्तर की जाए।

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