ग़ाज़ीपुर

तिरंगा लहराकर अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था इस शख्स ने

तिरंगा लहराकर अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया इस शख्स ने

गाजीपुर।स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाकर जिले में आजादी का डंका बजाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,पूर्व सांसद,कामरेड सरजू पांडेय की 35‌ वीं पुण्यतिथि 25 अगस्त को मनाई गई। 19 नवंबर 1919 को कासिमाबाद विकासखंड के अति पिछड़े गांव उरहां जगदीशपुर में जन्मे सरजू पांडेय ने देश और समाज में बराबरी के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं।सर्वप्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाकर सैकड़ों साथियों के साथ 15 अगस्त 1942 को कासिमाबाद थाने की घेराबंदी करते हुए आग के हवाले कर दिया था।साथ ही तिरंगा लहराकर अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।इसी प्रकार उन्होंने बलिया जनपद के छिछोर गांव जो अब मऊ जनपद का हिस्सा है,वहां के जमींदार राम कुंवर सिंह के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करते हुए एक इतिहास रचा था।ऐसी ही लड़ाई पाली गांव के जमींदार राजा राय के खिलाफ उन्होंने लड़ी थी।आंदोलन ऐसा चला कि राजा राय की पूरी भूमि पर गरीबों का कब्जा हो गया। सरजू पांडेय के बढ़ते जनाधार को देखकर कम्युनिस्ट पार्टी ने नव सृजित लोकसभा क्षेत्र रसड़ा से 1957 में लोकसभा के साथ मोहम्मदाबाद विधानसभा का टिकट दे दिया था। दोनों ही सीटें जीतकर सरजू पांडेय पूरे देश में एक ख्यातिलब्ध नेता के रूप में उभर कर सामने आए। सरजू पांडेय ने रसड़ा लोकसभा क्षेत्र से 1957, 1962 और गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से 1967 और 1971 का चुनाव जीता। वह 1978 से 1989 तक विधान परिषद के सदस्य रह कर गरीबों मजदूरों की आवाज उठाते रहे।आज सरजू पांडेय हम लोगों के बीच भले ही नहीं हैं,लेकिन उनके संघर्षों को लोग आज भी याद करते हैं। 25 अगस्त 1989 को रूस की राजधानी माॅस्को में दिल का दौरा पड़ने से उनका देहावसान हो गया।

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