प्राइवेट हॉस्पिटल:स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी का रहस्य
प्राइवेट हॉस्पिटल:स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी का रहस्य
गाजीपुर।जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमओ स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में कई चुनौतियों का सामना कर रहे है। यहाँ कई सरकारी और लगभग 196 प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम व क्लीनिक इत्यादि हैं, जिसमें मां वैष्णो क्लीनिक एवम् हॉस्पिटल प्रकाशनगर का भी नाम हो सकता है। यह प्राइवेट अस्पताल स्थानीय निवासियों के लिए चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि इसके प्रति स्वास्थ्य विभाग की विशेष मेहरबानी ने कई सवाल उठा दिए हैं। विशेष रूप से, हॉस्पिटल की मानक विहीन सेवाओं के बावजूद, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा इसे विशेष समर्थन और बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है? एक प्राइवेट चिकित्सा संस्थान, जो रोगों के इलाज और चिकित्सा सेवाओं के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसका नाम चर्चा में रहा करता हैं, जिनमें चिकित्सा मानकों का पालन न करना, मरीजों की खराब देखभाल, और सुविधाओं की कमी शामिल बताई जाती हैं। कुछ लोगों का कहना हैं कि प्राइवेट अस्पतालों को अक्सर प्रशासनिक और राजनीतिक कनेक्शनों के आधार पर समर्थन मिलता ही क्यों है? यदि हॉस्पिटल के संचालक या प्रबंधक किसी राजनीतिक दल या महत्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारी से जुड़े हैं, तो यह संभव है कि उन्हें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से विशेष समर्थन प्राप्त होता ही होगा।
स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। लोगो के बीच चर्चा हैं कि अगर हॉस्पिटल ने किसी प्रकार की रिश्वत या अन्य लाभ अधिकारियों को प्रदान किए हैं, तो इससे इसे विशेष सुविधाएं और समर्थन प्राप्त हो सकता है। यह व्यवस्था पारदर्शिता और ईमानदारी की कमी को उजागर करती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कभी-कभी अस्पताल, अस्पतालों की मानक जांच में लापरवाही होती है। यदि हॉस्पिटल, हॉस्पिटलों की निगरानी और निरीक्षण में कोई कमी है, तो ऐसे में मां वैष्णो क्लीनिक, गर्विता हॉस्पिटल, जीवनदायिनी हॉस्पिटल और आदिशक्ति हॉस्पिटल सहित कई दर्जनों अस्पताल मानक विहीन सेवाओं के बावजूद बिना रोक-टोक के चलते रहेंगे। इस मुद्दे की ओर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) एवम् जिला अधिकारी (DM) का ध्यान आकृष्ट होना चाहिए। प्राइवेट हॉस्पिटलो के मरीजों ने चिकित्सा लापरवाही, खराब इलाज, आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और सुविधाओं की कमी, इलाज में देरी, और अत्यधिक महंगे उपचार की कई शिकायतें उचित माध्यम से विभाग को करते रहे होगे, शिकायतें सम्बन्धित विभाग को जरूर होता होगा। कई बार मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा के लिए भी आधारभूत सुविधाएं नहीं मिल पातीं।
स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि वह सभी चिकित्सा संस्थानों की गुणवत्ता और मानकों की नियमित निगरानी करे। हॉस्पिटलो के मामले में, विभाग को चाहिए कि अस्पतालो की सेवाओं की समीक्षा करे और सुनिश्चित करे कि दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाएँ मानकों के अनुसार हों। स्वास्थ्य विभाग को पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने की आवश्यकता है। यदि प्राइवेट हॉस्पिटलो को किसी प्रकार के अवैध विशेष लाभ या समर्थन मिल रहा है, तो इसका कारण स्पष्ट किया जाना चाहिए और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं या भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
विभाग ने पिछले दिनों पीजी कालेज के पास जन सहयोग से भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त नीतियाँ अपनाते हुए एक कर्मचारी को रिश्वत या अन्य लाभ के मामले में उचित कार्यवाही का ठोस कदम उठाया। जनपद के प्राइवेट हॉस्पिटल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की विशेष मेहरबानी का एक प्रमुख उदाहरण बनता जा रहा है, भले ही इनके मानक विहीन सेवाओं के खिलाफ कई शिकायतें मिलती रही हो। यह स्थिति स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता, ईमानदारी, और गुणवत्ता की कमी को उजागर करती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाए,अनियमितताओं को समाप्त करे, मानक और रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करे कि सभी चिकित्सा संस्थान उच्च मानकों पर कार्य करें। स्थानीय जनता के हित में, सरकारी नीतियों की पारदर्शिता बनाए रखना आवश्यक है, ताकि स्वास्थ्य सेवाएँ सही मायने में सभी के लिए लाभकारी साबित हो सकें।