सिर्फ यादें बाकी हैं नहीं बन सका शहीदों की याद में नंदगंज में स्मारक स्तंभ
ना जाने किस कि सरकार यहां के वीर शहीदों की याद में बनवाएगी स्मारक
गाजीपुर।सिर्फ यादें बाकी हैं नहीं बन सका शहीदों की याद में नंदगंज में स्मारक स्तंभ,ना जाने किस कि सरकार यहां के वीर शहीदों की याद में बनवाएगी स्मारक,शहीदों की बाते सुन कर आज भी यहां के लोगो की आंखे हो जाती हैं नम।
रिपोर्ट:आबिद शमीम
नंदगंज।स्वतंत्रता की लड़ाई में इस क्षेत्र के भी वीर सपूतों का नाम बड़ी अदब के साथ लिया जाता है। गांधी जी के करो या मरो के आह्वान पर 18 अगस्त 1942 को यहां के क्रांतिकारियों ने पहले नंदगंज थाने में तिरंगा फहराने की योजना बनाई लेकिन तत्कालीन नंदगंज थानाध्यक्ष विजय शंकर पांडेय की दोहरी चाल चलने पर क्रांतिकारियों ने नंदगंज रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी के 52 डिब्बे लूट लिए। इसकी सूचना पर मौके पर पहुंचे अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों पर 175 राउंड गोलियां दागीं, जिसमें 100 से अधिक क्रांतिकारी शहीद हुए तथा हजारों घायल हो गए थे। सबसे दुःखद बात यह है कि आज तक इन शहीदों की स्मृति में नंदगंज में शहीद स्मारक तक नहीं बनवाया जा सका है।
अगस्त क्रांति का ऐलान होने के बाद नंदगंज क्षेत्र के लोगों का भी खून खौल उठा था। स्वतंत्रता सेनानी भोला सिंह के नेतृत्व में जलन्धर सिंह, रामधारी यादव समेत हजारों लोग भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए नंदगंज थाने पर तिरंगा फहराने पहुंच गए। वहां के थानाध्यक्ष विजय शंकर पांडेय ने स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी की ओर इशारा कर लोगों को उसे लूटने के लिए प्रेरित कर दिया। भीड़ मालगाड़ी की ओर बढ़ गई। इधर मैनपुर से श्याम नारायण सिंह, करंडा से बचाई सिंह और बलुआ से राम परीखा सिंह आदि भी टोलियां लेकर पहुंच गए। बेलासी के डोमा लोहार ने हथौड़े एवं छेनी से मालगाड़ी के सभी डिब्बों के ताले तोड़ डाले। स्टेशन से पूरब की तरफ तीन किलोमीटर दूर पुलिया तोड़ दिए जाने से रेल मार्ग अवरुद्ध हो गया था। उसे ठीक करते हुए अंग्रेज भी मौके पर पहुंच गए। थानाध्यक्ष ने दोहरी चाल चली। उसने तत्कालीन डीएम तथा एसपी को इसकी सूचना दे दी। मौके पर अंग्रेजों की भारी फोर्स पहुंच गई और गोलीबारी होने लगी। दर्जनों लोगों को पुलिस ने कतारों में खड़ा करके गोलियों से भून डाला। उल्लेखनीय है कि गोलीकांड के संबंध में 80 लोगों के शहीद होने की पुष्टि भारत छोड़ो आंदोलन की स्वर्ण जयंती के अवसर पर मुंबई दूरदर्शन ने प्रसारण के जरिए किया था। आजादी में इतनी बड़ी घटना के बाद भी यह स्थान अब तक उपेक्षित है।