ग़ाज़ीपुर

खेती के साथ अतिरिक्त आय का साधन:बकरी पालन

खेती के साथ अतिरिक्त आय का साधन:बकरी पालन

गाजीपुर।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित कृषि विज्ञान केंद्र अंकुशपुर ग़ाज़ीपुर में एस. सी. एस. पी. परियोजना अंतर्गत बकरी पालन विषय पर पांच दिवसीय (08 – 12  जुलाई) प्रशिक्षण का समापन हुआ। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. सी. वर्मा ने कहा कि अभी हम मांस उत्पादन एवं मांग तथा उपभोग मे विश्व से काफी पिछे है बकरी का मांस मंहगा होने के कारण यह मध्यम वर्ग एवं ग़रीबों की पहुंच में नही है इसका कारण है कि मांग के हिसाब से बकरियों की संख्या कम है इसलिये बकरी पालन व्यवसाय अभी काफी लाभदायक है । प्रशिक्षण में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे.पी. सिंह ने किसानो को प्रशिक्षित करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा बताई तकनीकियों को अपनाकर बकरी पालक अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं खासकर बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए ग्रामीण युवक इसको व्यवसाय के रूप में करेंगे तो रोजगार के लिए बड़े शहरों की तरफ उनको पलायन नहीं करना पड़ेगा। प्रशिक्षण के वरिष्ठ वैज्ञानिक पशुपालन डा. ए.के. सिंह ने कहा कि बकरी पालन से कम समय एवं कम पूंजी लगाकर अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। बकरियों में खासकर छोटे आकार कि जो ज्यादा बच्चे देती है उनका पालन करना लाभदायक रहेगा इसके लिए बरबरी नस्ल, बीटल, ब्लैक बंगाल, पालने का सुझाव दिया यह नस्लें मांस के लिए बहुत उपयोगी है अगर आकार में बड़ी बकरियों को पालना हो तो उसके लिये जमुनापारी, सिरोही , कुच्ची, मालवार नस्ले काफी उपयोगी है। लेकिन यह बच्चा कम संख्या में पैदा करती है दुध उत्पादन के लिये जमुनापारी ( 2.0 – 2.5 ली. / दिन ) , बीटल (1.5 – 2.0 ली. / दिन ), बीटल, सुरती आदि नस्ले उपयोगी है।

संकर नस्ल में एल्पाइन बीटल बहुत अच्छी नस्ल है जो मांस एवं दुग्ध उत्पादन दोनो के लिये उपयोगी है ।
वैज्ञानिक डा. नरेन्द्र प्रताप ने बकरियों के आहार एवं प्रबंधन के बारे में जानकारी दी एक प्रोढ़ बकरी / बकरे को उनके इच्छा भर गेहूं, अरहर, चना, मटर, मसूर का भूसा या सुखी घास को हरे चारे (1.0 – 3.0) के साथ मिलाकर खिलाना चाहिए, इसके बाद प्रत्येक बकरी / बकरे को कम से कम 250 ग्राम एवं अधिक से अधिक 500 ग्राम दाना प्रतिदिन खिलाना चाहिए। वैज्ञानिक डॉक्टर शशांक शेखर ने दाना मिश्रण के बारे में बताया दाना मिश्रण में अनाज 35 भाग, खली 30 भाग, दलहन चुन्नी 10 भाग, गेहूं चोकर 21 भाग, खनिज तत्व 3 भाग, एवं नमक 1भाग, सब को मिलाकर दाना मिश्रण बना लेना चाहिए। प्रशिक्षण में वैज्ञानिक डा शशांक सिंह ने बकरियों के बच्चों के प्रबंधन के बारे में बताया। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ अविनाश राय ने प्रशिक्षणार्थियों से आग्रह किया कि खेती के साथ-साथ बकरी पालन कर ग्रामीण युवक अपनी आमदनी को बढ़ाने के साथ-साथ अपनी बेरोजगारी भी दूर कर सकते हैं इसलिये बकरी पालन व्यवसाय लाभकारी सिद्ध होगा। प्रशिक्षण में कुल 25 प्रशिक्षुओं ने प्रतिभाग किया।

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