ग़ाज़ीपुर
बालक-बालिकाओं के बीच भेदभाव को दूर करने के लिए ब्रेकथ्रू कार्यक्रम
ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

मरदह गाजीपुर।बालक-बालिकाओं के बीच भेदभाव को दूर करने के लिए ब्रेकथ्रू कार्यक्रम के तहत सोमवार को ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न।कार्यशाला में बाल विकास अधिकारी और कई हितधारकों ने हिस्सा लिया कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए ब्रेकथ्रू जिन मानकों को बदलना चाहता हैं उन बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गई।इसके अलावा कार्यक्रम में ग्राम स्तर पर गठित होने वाली बाल सुरक्षा समितियों के गठन सहित सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन में हो रही विभिन्न कठिनाइयों पर भी चर्चा हुई।सीडीपीओ प्रशांत सिंह ने बताया कि “ब्रेकथ्रू द्वारा किए जा रहे कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय है और जो भी सहयोग चाहिए उसके लिए मैं और मेरा विभाग स्तर किसी भी सहयोग के लिए खड़ा रहूंगा कहाँ कि ब्रेकथ्रू का कार्य सर्वोपरि है और मेरे द्वारा जहाँ जरूरत रहेगी मैं हमेशा सहयोग प्रदान करूंगी जिससे महिलाओं किशोर किशोरियों को एक सुरक्षित माहौल का निर्माण हो सके।स्वास्थ्य विभाग से बीपीएम प्रेमप्रकाश राय,बाल विकास अधिकारी, एआरपी,महिला कल्याण विभाग से गीता श्रीवास्तव,शिक्षा विभाग,बाल विकास परियोजना सहित ग्राम पंचायत सचिव ने ब्रेक थ्रू के बारे में चर्चा करते हुए ब्रेकथ्रू के तरफ से नंदिनी जी ने ब्रेकथ्रू के मिशन और विजन पर विस्तृत चर्चा की जिसमे बाल हिंसा,लैंगिक समानता,घरेलू हिंसा पर भी चर्चा हुई लिंग आधारित/लैंगिक हिंसा के कई चेहरे हैं, जिनमें यौन उत्पीड़न जैसे स्पष्ट चेहरे से लेकर भावनात्मक शोषण, वित्तीय शोषण या किसी अवसर से इनकार जैसे सूक्ष्म चेहरे भी शामिल हैं।आक्रोश और कानूनी बाधाओं से परे, सच्चे परिवर्तन में उस संस्कृति को बदलना शामिल है जो हिंसा करने की अनुमति देती है।इस परिवर्तन को लागू करने का सबसे प्रभावी तरीका व्यवहार में ठोस परिवर्तन होने से पहले लैंगिक मानदंडों और मान्यताओं को ढालना है। यह पूरे उत्तर भारत में लगभग 20 लाख किशोरों के साथ ब्रेकथ्रू के काम को रेखांकित करता है।जैसे-जैसे हम सपनों,आकांक्षा, नेतृत्व,एजेंसी और बातचीत कौशल को बढ़ावा देकर उनकी क्षमता का निर्माण करते हैं,एक पूरी पीढ़ी सक्षम संस्कृति की ओर बढ़ रही है जिसमें लिंग आधारित/ लैंगिक भेदभाव वाली हिंसा अस्वीकार्य है।जब लिंग मानदंड बदलते हैं,तो लड़कियों के लिए सब कुछ बदल जाता है-घर के कामकाज के बंटवारे से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की पहुँच तक सब कुछ बदल जाता है।इस पीढ़ीगत बदलाव का प्रमाण हमारे समुदायों में शादी की उम्र और स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या में लगातार वृद्धि में दिखाई दे रहा है।हमारे मिशन का नेतृत्व 11 से 24 वर्ष की आयु के युवा कर रहे हैं। जैसे-जैसे वे लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ़ आवाज़ उठाते हैं, हम मीडिया टूल के माध्यमों के साथ उनकी यात्रा का भी समर्थन करते हैं।इस मौके पर ब्लॉक कोऑर्डिनेटर विमलेश,उजमा, सरिता,पवन,अरशद अहमद,नसरीन,आशा मौजूद रहे।